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जो गया मुँह फेर कर, मीत है।
स्त्री प्रकृति की महारानी
वो हूँ मैं
जीना है तो मरना सीखो, गर पाना है तो खोना सीखो,
तुम नेह की स्वाति सुगंध हो
माँ ने दिया ज्ञान
कहिए कैसे आपके हैं विचार ,
चाहत के मौन गलियारों में,प्रणय मृदुल स्पंदन
दस्तक
अंतःपथ
सग के शिकम में घी कभी भी पच नहीं सकता।
व्याकुल आत्मा की पुकार
बाघ भाई की शादी
मर्द और औरत
जीवन धन्य हो रहा,राधिका श्री चरण वंदन से
सुगंध की सौगंध
हर असंभव का हल — कठिन परिश्रम
जब साथ आते चार लोग,
अमर यहाँ कोई नहीं
खुल रहे अंतस द्वार,प्रेम की दिव्य शक्ति से