कविता लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैंसभी दिखाएं
चिड़िया
भारतीय नववर्ष विक्रम संवत् 2080 की शुभकामनाएँ
गौरैया है रोज़ सबेरे
कृष्ण सुदामा
वेदनाओं के भँवर में
 आज अपने घरों को दीपों से सजायें
रंग रूप और गुण
आ रहे श्रीराम हमारे
तुम सच बोलो
अपना परिचय मैं क्या दूं ?
मोबाइल महोदय ,आप सचमुच एक में अनेक हैं ।
अपने लिए तो सब जीते हैं ,
स्वच्छता के लिए सबका साथ
खून उबल रहा है
नूतन वर्ष
आओ देखें--
मन्दिर मस्जिद गुरुद्वारे, चर्चों की हम बात करें,
जब सूख चुके हों ताल तलैया, नदीयाँ भी सूखी सूखी
जब कुंठाओं से ग्रस्त आदमी रहता है,
कौन जिया है खुद की खातिर, यह तो हमको बतला दो,