हमें राष्ट्र की अंंथता है मिटानी डॉ रामकृष्ण मिश्र हमें राष्ट्र की अंंथता है मिटानी चलें साथ मिल…
Read more »कोई समर्थक अभिमन्यु पर, बाण नहीं चला सकता, सतर्क किया चक्रव्यूह में, नुक़सान नहीं करा सकता। अनीति क…
Read more »केर और बेर का साथ, मर्यादाओं का बन्धन है, मर्यादा का चीरहरण, केर को फटना पडता है। बनी रहे शान्ति जग…
Read more »आस्था के फूल कभी मुरझाते नहीं हैं लोग अपनों से छले जाते हैं जहां में छलने से फिर भी घबराते नहीं है…
Read more »"जीवन का युद्धक्षेत्र" जीवन रण में न विश्राम, और न कोई युद्धविराम होता, ना झंडियाँ शांति …
Read more »खुशियों की भोर,बुद्धम शरणम गच्छामि की ओर धर्म कर्म आध्यात्मिक क्षेत्र, नर नारी महत्ता सम । जाति विभ…
Read more »महात्मा बुद्ध जिस नाम का सिद्ध अर्थ हुआ , उसका नाम ही सिद्धार्थ हुआ । जीवन शांति हेतु घर को त्यागा …
Read more »"अडिग दीपक" आंधियों की बस्तियों में एक दीप जल रहा है, खा रहा झोंके अहर्निश, जूझता पल-पल र…
Read more »अगर जलना ही पड़े, तो दीपक बनो। खुद जलते रहो, पर दूसरों को प्रकाश दो।। यह दूनियां बेरहम है, यहाँ कुछ…
Read more »परछाईं की दौड़ दौड़ जारी है— अपने ही अक्स के साथ। कभी आगे, कभी पीछे, कदमों की परछाईं हर मोड़ पर एक …
Read more »मां ही मेरी खुशी है सत्येन्द्र कुमार पाठक माँ तू मेरी, जीवन धारा, तेरा प्यार, सागर गहरा। हरदम तू ही…
Read more »प्रधानमंत्री का राष्ट्र के नाम संबोधन का मूल पाठ प्रिय देशवासियों, नमस्कार! हम सभी ने बीते दिनों मे…
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