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दालान बैठकी

दालान बैठकी

जय प्रकाश कुवंर
बैठीं भाईजी कुछ बात बतियावल जाव।
गाँव नगर के कुछ हाल सुनावल जाव।।
भुआरा के एही लगन में बियाह भ‌इल।
ओकर मेहररुआ घर छोड़ के भाग ग‌इल।।
लछुमन भाई पतोहिया के खोजत बाड़े।
भुआरा के सुबह सांझ खुब डांतट बाड़े।।
मुखिया जी गाँव में पोखरा खोनावत बाड़े।
सरकारी प‌इसा खुब आपन बनावत बाड़े।।
मोदी जी खाली विकास बात करत रहिहें।
मुखिया जी नोट से घर आपन भरत रहिहें।।
बुधिया के पठरू चिक किन के ले ग‌इल।
बुधिया का बकरी से खुब आमदनी भ‌इल।।
लवका ठनका बगल का गाँव में गिरल बा।
सुनत बानी जे मोहाना के भंइस मरल बा।।
महंगाई सब चीज के रोज बढ़ल जात बा।
पेट क‌इसे भरी अब, कुछ ना बुझात बा।।
सावन आ ग‌इल, अब लगन ओरा ग‌इल।
धराउं ल‌इकवन के एह साल बियाह भ‌इल।।
सबसे बड़का बात अभी कहबे ना क‌इनी।
र‌उआ घरे जाये खातिर तेयारी हो ग‌इनी।।
अक्टूबर महीना में चुनाव होखे जात बा।
जीवन बाबू के ल‌इकवा ध‌इले ना धरात बा।।
खादी के कुरता पाजामा अभी से बनवले बा।
पेन्ह ओढ़ के बड़का नेता सजवले बा।।
पार्टी दफ्तर घुम घुम के देत बा दुहाई।
कौनो ना कौनो पार्टी से टिकट अबकी पा‌ई।।
चलीं बहुत बतकही भ‌इल, विराम लगावल जाव।
हमनियों बरसात में कुछ सपना सजावल जाव।।
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