प्रेम स्पर्श नहीं,एक मृदुल अनुभूति
एक सुंदर सा अहसास,हर पल कारक उजास ।
सब अच्छा लगने लगता,
दूर हो या फिर पास ।
अंतर्मन अनूप श्रृंगार कर,
सहर्ष आत्मसात संभूति ।
प्रेम स्पर्श नहीं,एक मृदुल अनुभूति ।।
दिव्य भव्य मोहक छवि,
अंतःकरण बिंदु वसित ।
निशि दिन प्रति पल,
मधुर स्मृतियां रचित ।
हाव भाव उत्संग तरंग,
रग रग उन्मुख मिलन रूचि ।
प्रेम स्पर्श नहीं,एक मृदुल अनुभूति ।।
प्रिय साक्षात्कार अभिलाषा,
हरदम छाई रहती ।
सृष्टि दृष्टि आंतरिक पटल,
प्रियल परछाई रहती ।
जीवन रंग ढंग सौम्य,
अथाह अपनत्व भाव संपूर्ति ।
प्रेम स्पर्श नहीं,एक मृदुल अनुभूति ।।
नेह पथ पथिक आह्लाद,
सर्वदा अनुपम विशेष ।
विचरण आनंद महासागर,
कष्ट नगण्य सुख अधिशेष ।
तज नैराश्य बन मस्त मलंग,
अति पुलकित जीवन सम्मूर्ति ।
प्रेम स्पर्श नहीं,एक मृदुल अनुभूति ।।
कुमार महेंद्र
(स्वरचित मौलिक रचना)
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