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भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना में अनुसंधान परामर्शदात्री समिति की 21वीं बैठक संपन्न

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना में अनुसंधान परामर्शदात्री समिति की 21वीं बैठक संपन्न

पटना, 2 जुलाई 2025 — भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना में तीन दिवसीय अनुसंधान परामर्शदात्री समिति (RAC) की 21वीं बैठक का शुभारंभ आज भव्य रूप से हुआ। इस बैठक की अध्यक्षता ICAR के पूर्व उप महानिदेशक (कृषि प्रसार) डॉ. के. डी. कोकाटे ने की।

बैठक में डॉ. मसूद अली (पूर्व निदेशक, भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान, कानपुर), डॉ. एस.डी. सिंह (पूर्व सहायक महानिदेशक, मत्स्य विज्ञान), डॉ. के. एन. तिवारी (प्रोफेसर, IIT खड़गपुर) तथा डॉ. एस. कुमार (पूर्व प्रमुख, ICAR पूर्वी अनुसंधान परिसर, रांची) जैसे कृषि वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों की गरिमामयी उपस्थिति रही। इसके अतिरिक्त, डॉ. ए. वेलुमुरुगन, सहायक महानिदेशक (प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन), ICAR, नई दिल्ली ने ऑनलाइन माध्यम से प्रतिभाग किया।

बैठक में पटना परिसर सहित रांची, बक्सर और रामगढ़ स्थित अनुसंधान केंद्रों एवं कृषि विज्ञान केंद्रों के प्रमुखों ने भी भाग लिया और अपनी शोध परियोजनाओं की उपलब्धियाँ प्रस्तुत कीं।
कृषि चुनौतियों पर केंद्रित रहा विमर्श
डॉ. कोकाटे ने बैठक को संबोधित करते हुए जलवायु परिवर्तन, सीमित संसाधन, बाजार की अस्थिरता तथा खंडित जोत जैसी कृषि की समसामयिक चुनौतियों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि “वही अनुसंधान सफल है जो किसानों की आय और जीवनस्तर को सशक्त बनाए।” उन्होंने ‘अपशिष्ट से संपदा’ की अवधारणा को प्रासंगिक बताते हुए कृषि अपशिष्ट प्रबंधन को उत्पादन वृद्धि, पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास के लिए आवश्यक बताया।

उन्होंने कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और मशीन लर्निंग जैसी उन्नत तकनीकों के प्रयोग पर भी ज़ोर दिया ताकि अनुसंधान अधिक प्रभावशाली और भविष्य उन्मुख बन सके।

डॉ. वेलुमुरुगन ने संस्थान के कार्यों की प्रशंसा की और किसान-केंद्रित आर्थिक मॉडल, धान-परती क्षेत्रों में मृदा नमी व पोषक तत्व अध्ययन, मूल्य श्रृंखला विकास तथा अपशिष्ट से संपदा जैसे विषयों पर अनुसंधान को और सुदृढ़ करने के सुझाव दिए।
अन्य विशेषज्ञों ने भी दिए महत्त्वपूर्ण सुझाव

  • डॉ. मसूद अली ने पूर्वी भारत में धान-परती क्षेत्रों को हरित बनाने और समेकित कृषि प्रणाली मॉडल विकसित करने की जरूरत पर बल दिया।
  • डॉ. एस. कुमार ने संस्थान की रजत जयंती को मील का पत्थर बताते हुए प्रणाली उत्पादकता अनुकूलन सूचकांक को लागू करने की सिफारिश की।
  • डॉ. के. एन. तिवारी ने झारखंड के कोयला क्षेत्रों में मृदा व भूजल गुणवत्ता, विशेषकर आर्सेनिक प्रदूषण के अध्ययन की आवश्यकता पर ध्यान केंद्रित किया।
  • डॉ. एस. डी. सिंह ने कृषि प्रसंस्करण और कटाई उपरांत होने वाले नुकसान को कम करने की दिशा में अनुसंधान को बढ़ावा देने की सलाह दी।

संस्थान की उपलब्धियों का हुआ प्रदर्शन

बैठक की शुरुआत में संस्थान के निदेशक डॉ. अनुप दास ने पिछले 25 वर्षों की प्रमुख उपलब्धियों की प्रस्तुति दी। उन्होंने संस्थान की भावी योजना के तहत स्मार्ट और टिकाऊ कृषि प्रणाली विकसित करने हेतु AI और मशीन लर्निंग तकनीकों के उपयोग पर बल दिया।

सदस्यों ने अनुसंधान प्रक्षेत्रों, परीक्षण स्थलों और प्रयोगशालाओं का भ्रमण किया और वहां चल रहे नवाचारों का अवलोकन किया। इस अवसर पर दो प्रसार पुस्तिकाओं का विमोचन तथा मशरूम से संबंधित एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (MoU) का आदान-प्रदान भी किया गया।

कार्यक्रम का समापन डॉ. कमल शर्मा, सदस्य सचिव, अनुसंधान परामर्शदात्री समिति द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।

रिपोर्ट: दिव्य रश्मि न्यूज़
फोटो व स्रोत: ICAR-पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना
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