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धार्मिक श्रद्धा और सांस्कृतिक संवेदना से ओतप्रोत शोकसभा में दी गई श्रद्धांजलि — गायाजी में धर्मपरायण महिला को श्रद्धांजलि देने उमड़े प्रबुद्धजन

धार्मिक श्रद्धा और सांस्कृतिक संवेदना से ओतप्रोत शोकसभा में दी गई श्रद्धांजलि — गायाजी में धर्मपरायण महिला को श्रद्धांजलि देने उमड़े प्रबुद्धजन

गया (बिहार), विशेष संवाददाता:
गया शहर के विवेकानंद पथ स्थित गोल बगीचा क्षेत्र में हाल ही में एक धर्मनिष्ठ, सौम्य और सदाचारपूर्ण जीवन जीने वाली पुण्यात्मा महिला की स्मृति में एक भावभीनी शोकसभा का आयोजन किया गया। इस आयोजन में शहर के विभिन्न सामाजिक, सांस्कृतिक एवं साहित्यिक संगठनों से जुड़े प्रबुद्धजन एवं गणमान्य लोग बड़ी संख्या में उपस्थित हुए।
इस अवसर पर भारतीय राष्ट्रीय ब्राह्मण महासभा और कौटिल्य मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. विवेकानंद मिश्र ने अपने संवेदनशील उद्गार व्यक्त करते हुए कहा कि गया की धरती साहित्य, संस्कृति और उच्च मानवीय मूल्यों की परंपरा की धनी रही है। उन्होंने कहा कि इस परंपरा को आगे बढ़ाने वाले हिंदी साहित्य के मर्मज्ञ और प्रतिष्ठित विद्वान डॉ. सच्चिदानंद प्रेमी [माड़नपुर, गया] की धर्मपत्नी का असमय निधन एक अपूरणीय क्षति है। वे एक आदर्श शिक्षिका, कुशल गृहिणी, और सादा जीवन उच्च विचार की प्रेरणास्रोत थीं।
डॉ. मिश्र ने कहा कि स्वर्गवासी महिला श्रीमती प्रेमी, जो कि भागवत सिंह मेमोरियल टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज देव औरंगाबाद की पूर्व प्रधानाध्यापिका रही हैं, केवल एक शैक्षणिक स्तंभ ही नहीं, बल्कि मानवीय संवेदना, सेवा और संस्कार की मूर्त स्वरूप थीं। उनका संपूर्ण जीवन न केवल परिवार के लिए, बल्कि समाज के लिए भी प्रेरणा का स्रोत रहा। वे शांतिस्वरूपा, कोमलहृदया और धर्मपरायण महिला थीं जिनका आचरण आने वाली पीढ़ियों को भी मार्गदर्शन देता रहेगा।
इस मौके पर अपने विचार व्यक्त करते हुए प्रसिद्ध साहित्यकार आचार्य राधामोहन मिश्र माधव ने गहरी वेदना के स्वर में कहा कि काल अपना ग्रास बनाने में कोमल-कठोर का भेद नहीं करता, उसकी गति रहस्यमयी है। परंतु एक सदात्मा की आत्मा नष्ट नहीं होती – "न म्रियते वा कदाचित्". वह अमर होती है, और उसके सत्कर्मों का उजास चिरकाल तक समाज में बना रहता है।
भारतीय राष्ट्रीय ब्राह्मण महासभा एवं कौटिल्य मंच के राष्ट्रीय सचिव आचार्य सच्चिदानंद मिश्र ने अपने शोक विगलित स्वर में कहा कि “आत्मा का वियोग शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता, वह केवल अनुभूत होता है। यह शून्यता चिरकाल तक बनी रहती है।”
इस शोकसभा में अनेक गणमान्य लोगों की उपस्थिति ने इसे एक गरिमामयी श्रद्धांजलि समारोह का रूप दे दिया। भारतीय जन क्रांति दल (डेमोक्रेटिक) के संस्थापक एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. आर. डी. मिश्रा, नेत्र रोग विशेषज्ञ कैप्टन (डॉ.) अशोक कुमार झा, प्रोफेसर अशोक कुमार, कौटिल्य मंच के प्रदेश महासचिव डॉ. रविंद्र कुमार, डॉ. दिनेश कुमार सिंह, राजद की वरिष्ठ नेत्री रूबी कुमारी, बसपा नेता राघवेंद्र नारायण यादव, शिक्षा-संस्कृति प्रेमी प्रियंका मिश्रा, कौटिल्य मंच की किरण पाठक, डॉ. अनीता पाठक, राजीव नयन पांडे, अमरनाथ पांडेय, राकेश पांडे, डॉ. ज्ञानेश भारद्वाज, भाजपा के वरिष्ठ नेता सिद्धनाथ मिश्र, कौटिल्य मंच के वरिष्ठ पदाधिकारी हिमांशु मिश्र, ऋषिकेश गुर्दा, रंजीत पाठक, पवन मिश्र, कवयित्री उज्जवला मिश्र, तारा विश्वजीत चक्रवर्ती, अधिवक्ता दीपक पाठक, उत्तम पाठक, पुष्पा गुप्ता, रीना पासवान, प्रो. रीना सिंह, मृदुल मिश्रा, अधिवक्ता एस. के. पाठक, रजनी चावला, सुनीता देवी, तरन्नुम, तारा तस्लीम नाच, और रेशमा परवीन जैसे गणमान्य जनों ने दिवंगत आत्मा को श्रद्धा सुमन अर्पित किए।
सभा में उपस्थित सभी लोगों ने मौन श्रद्धांजलि देकर दिवंगत आत्मा की चिरशांति के लिए प्रार्थना की। साथ ही, परिजनों को इस कठिन समय में धैर्य एवं संबल प्रदान करने की ईश्वर से कामना की।
इस आयोजन ने यह सिद्ध किया कि समाज में अच्छे कार्य, संस्कार, शिक्षा और धर्म के प्रति समर्पण को कभी भुलाया नहीं जाता। श्रीमती प्रेमी की स्मृति चिरंजीवी रहेगी और उनका जीवन समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत बना

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