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डॉ. जगन्नाथ मिश्र : केवल अतीत का गौरव नहीं, वर्तमान और भविष्य की भी दिशा हैं — डॉ. विवेकानंद मिश्र

डॉ. जगन्नाथ मिश्र : केवल अतीत का गौरव नहीं, वर्तमान और भविष्य की भी दिशा हैं — डॉ. विवेकानंद मिश्र

पूर्व मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री, प्रख्यात अर्थशास्त्री और मानवाधिकार संरक्षण प्रतिष्ठान के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. जगन्नाथ मिश्र की 88वीं जयंती के अवसर पर पटना के डॉक्टर विवेकानंद पथ, गोलबगीचा स्थित सभागार में एक भव्य समारोह का आयोजन किया गया। इस आयोजन में उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए वक्ताओं ने डॉ. मिश्र को बिहार की राजनीति, समाज और शिक्षा जगत की अमूल्य धरोहर बताया।

कार्यक्रम का उद्घाटन भारतीय राष्ट्रीय ब्राह्मण महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं मानवाधिकार संरक्षण प्रतिष्ठान के राष्ट्रीय महासचिव डॉ. विवेकानंद मिश्र ने दीप प्रज्वलन कर किया। उन्होंने अपने संबोधन में कहा:

“डॉ. जगन्नाथ मिश्र सिर्फ अतीत की स्मृति नहीं, वर्तमान और भविष्य की भी दिशा हैं। उनका जीवन-संघर्ष असाधारण है, जो साधारण से साधारण व्यक्ति में भी ऊर्जा और क्षमता का संचार करता है। उन्होंने कभी भी विपरीत परिस्थितियों में अपने सिद्धांतों, विचारों, निष्ठा और मानवीय मूल्यों से समझौता नहीं किया। वे मेरे जीवन के प्रेरणा स्रोत हैं।”
कार्यक्रम में रही गणमान्य जनों की उपस्थिति

इस श्रद्धांजलि सभा में सामाजिक, सांस्कृतिक एवं शैक्षणिक क्षेत्र से जुड़ी कई नामचीन हस्तियाँ उपस्थित रहीं, जिनमें प्रमुख हैं:
  • आचार्य राधा मोहन मिश्रा माधव – साहित्यिक एवं सांस्कृतिक क्षेत्र में सम्मानित विद्वान
  • आचार्य सच्चिदानंद मिश्र – प्रसिद्ध समाजसेवी एवं वैचारिक क्रांति के अग्रदूत
  • डॉ. बी. एन. पांडे – मगध विश्वविद्यालय के पूर्व विभागाध्यक्ष
  • डॉ. ज्ञानेश भारद्वाज – ज्योतिष शिक्षा एवं शोध संस्थान के निदेशक
  • डॉ. रविंद्र कुमार – कौटिल्य मंच
  • डॉ राकेश दत्त मिश्र - राष्ट्रीय महासचिव , भारतीय जन क्रांति दल (डेमोक्रेटिक)
मनीष कुमार, डिंपल माया देवी, चंचला देवी, मृदुल मिश्रा, सुशीला देवी, मोहि देवी, कुंती देवी, ऋषिकेश गुर्दा, अनंत अच्युत मराठे, विश्वजीत चक्रवर्ती, रामानुज शर्मा, अमरनाथ पांडे, पवन मिश्रा, रंजीत पाठक, अनिल कुमार सोनी, हर्षिता कुमारी, निशु कुमारी, अनुराग कुमार, आदित्य कुमार, दिलीप पांडे, दिनेश साव, बाल श्याम मिश्रा, ममता मिश्रा, कविता राउत, पुष्पा गुप्ता, पार्वती देवी, अधिवक्ता अपर्णा मिश्रा, दीपक पाठक, प्रियांशु मिश्रा, तनिष्का अनुज्ञा मिश्रा आदि उल्लेखनीय रहे।
मिश्र जी की विरासत पर वक्ताओं के विचार

वक्ताओं ने डॉ. जगन्नाथ मिश्र के जीवन को आधुनिक बिहार के सामाजिक-राजनीतिक निर्माण की आधारशिला बताया। उन्होंने कहा कि डॉ. मिश्र ने न केवल एक कुशल राजनीतिज्ञ के रूप में, बल्कि एक संवेदनशील शिक्षाविद्, समाजशास्त्री और अर्थशास्त्री के रूप में भी देश को दिशा दी। उन्होंने शिक्षा को जन-जन तक पहुँचाने के लिए कई ऐतिहासिक निर्णय लिए।

डॉ. मिश्र को याद करते हुए वक्ताओं ने यह भी कहा कि वे विचारों की राजनीति के प्रतीक थे, और आज जब मूल्य आधारित राजनीति का संकट है, तब उनके विचार और कार्यशैली और भी प्रासंगिक हो गई है।
सामाजिक समरसता का प्रतीक

डॉ. मिश्र को गरीबों, किसानों, वंचितों, छात्रों और अल्पसंख्यकों की आवाज कहा जाता है। वे सत्ता में रहते हुए भी आम आदमी से जुड़ाव नहीं भूले। यही कारण है कि आज भी समाज के हर वर्ग में उनकी स्मृति जीवंत है। उन्होंने धर्म, जाति या क्षेत्र से ऊपर उठकर सभी के लिए कार्य किया।
निष्कर्ष

इस जयंती समारोह ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया कि डॉ. जगन्नाथ मिश्र केवल एक राजनीतिक नेता नहीं, बल्कि आदर्श, प्रेरणा और संघर्ष के प्रतीक हैं। उनका जीवन हम सबको बताता है कि सिद्धांतों पर चलकर भी परिवर्तन लाया जा सकता है। उनके विचार आज भी युवाओं के लिए मार्गदर्शक हैं।

डॉ. विवेकानंद मिश्र ने कार्यक्रम का समापन करते हुए कहा कि जल्द ही डॉ. मिश्र के जीवन एवं कार्यों पर आधारित एक स्मृति ग्रंथ प्रकाशित किया जाएगा, ताकि नई पीढ़ी उन्हें जान सके, समझ सके और उनसे प्रेरणा ले सके।

रिपोर्ट: दिव्य रश्मि संवाददाता, पटना

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