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बांग्लादेश में नरकीय जीवन जी रहे हैं शाकद्वीपी ब्राह्मण, सिर्फ मौत का कर रहे इंतज़ार: गिरीन्द्र मोहन मिश्र

बांग्लादेश में नरकीय जीवन जी रहे हैं शाकद्वीपी ब्राह्मण, सिर्फ मौत का कर रहे इंतज़ार: गिरीन्द्र मोहन मिश्र

  • शाकद्वीपी ब्राह्मण संसद ने जताई गहरी चिंता, अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठेगी आवाज़

पटना
शाकद्वीपी ब्राह्मण संसद के संस्थापक गिरीन्द्र मोहन मिश्र ने बांग्लादेश में रह रहे शाकद्वीपी ब्राह्मण समुदाय की हालत को "नरकीय और असहनीय" बताते हुए गहरी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि वहाँ के शाकद्वीपी ब्राह्मण अब जीवन नहीं, बल्कि केवल मौत का इंतज़ार कर रहे हैं। उनका कहना है कि प्रतिदिन 1 से 2 दर्जन शाकद्वीपी ब्राह्मण परिवारों को स्थानीय उग्र समुदायों द्वारा निशाना बनाया जा रहा है, उनकी संपत्ति पर ज़बरन कब्जा किया जा रहा है, और उन्हें भय और बेबसी में जीने के लिए मजबूर किया जा रहा है।

गिरीन्द्र मोहन मिश्र ने कहा, "बांग्लादेश में हमारे शाकद्वीपी ब्राह्मण भाई जिस डर, अपमान और अत्याचार में जीवन बिता रहे हैं, वह मानवीय दृष्टिकोण से अत्यंत पीड़ादायक है। उनकी आवाज़ को हम अनसुना नहीं होने देंगे।" उन्होंने बताया कि शाकद्वीपी ब्राह्मण संसद इस विषय पर हर स्तर से प्रयास कर रही है, और यदि आवश्यक हुआ तो इसे अंतरराष्ट्रीय मंच तक भी पहुँचाया जाएगा।

शाकद्वीपी ब्राह्मण संसद के वरिष्ठ पदाधिकारी भी हुए मुखर
छत्तीसगढ़ के भिलाई से राजेन्द्र कुमार शर्मा, जो शाकद्वीपी ब्राह्मण संसद के प्रमुख सदस्य हैं, ने कहा, "अब वक्त आ गया है कि हम एकजुट होकर अपने बांग्लादेशी भाइयों के लिए सशक्त आवाज़ बुलंद करें। संसद के माध्यम से हम बांग्लादेश सरकार तक अपनी बात पहुँचाएंगे और उनके मानवाधिकारों की रक्षा की माँग करेंगे।"

इसी कड़ी में संसद के एक अन्य सक्रिय पदाधिकारी रौशन चन्द्र मिश्र ने कहा कि बांग्लादेश में रह रहे शाकद्वीपी ब्राह्मण समाज की पीड़ा हमारी अपनी पीड़ा है। उन्होंने घोषणा की कि वे स्वयं जल्द ही बांग्लादेश की यात्रा कर वहाँ की वस्तुस्थिति का आकलन करेंगे और समाधान के लिए आवश्यक कदम उठाएंगे।

संगठन ने बनाई बहुस्तरीय रणनीति
गिरीन्द्र मोहन मिश्र ने स्पष्ट किया कि शाकद्वीपी ब्राह्मण संसद ने इस गंभीर मुद्दे पर बहुस्तरीय रणनीति बनाई है। इसमें राजनयिक माध्यमों, मानवाधिकार संगठनों, भारतीय विदेश मंत्रालय, तथा संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद तक बात पहुँचाने का भी प्रस्ताव शामिल है। उन्होंने कहा, "हम अपने लोगों के लिए न्याय और सम्मान सुनिश्चित कराने के लिए प्रतिबद्ध हैं और कोई भी बाधा हमें हमारे कर्त्तव्य से रोक नहीं सकती।"

शाकद्वीपी ब्राह्मण समाज की अपील
इस दर्दनाक परिस्थिति को देखते हुए शाकद्वीपी ब्राह्मण संसद ने विश्वभर के शाकद्वीपी ब्राह्मणों और सनातनधर्मियों से अपील की है कि वे इस मुद्दे पर एकजुट होकर आवाज़ उठाएं। साथ ही भारत सरकार से भी आग्रह किया है कि वह इस गंभीर मानवाधिकार हनन के मुद्दे को गंभीरता से लेकर बांग्लादेश सरकार से सुरक्षा और सम्मान सुनिश्चित कराने हेतु प्रभावी हस्तक्षेप करे।

यह कोई मामूली समस्या नहीं है, यह पूरे शाकद्वीपी ब्राह्मण समाज के अस्तित्व और अस्मिता का सवाल है।
शाकद्वीपी ब्राह्मण संसद का यह प्रयास अब केवल एक संगठनात्मक पहल नहीं, बल्कि मानवीय अधिकारों की रक्षा का अभियान बन चुका है। अब देखना है कि क्या अंतरराष्ट्रीय जगत और सरकारें इस पुकार को सुनती हैं या नहीं।
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