धन भवन वैभव अकिंचन ही रहे डॉ रामकृष्ण मिश्र धन भवन वैभव अकिंचन ही रहे संचिकाओं सी मनुजता खो गयी।। फ…
Read more »"अन्याय की आग" अन्याय की आग, धधकती सीने में, कलेजा जलता, पर आँखों में नमी नहीं। अनैतिक कृ…
Read more »भारतवर्ष में आज कल घोटालों का दौर है। हर घोटाले का नायक, समाज का एक सिरमौर है।। चारा घोटाला, यूरिया…
Read more »खुद में खुद को ज़िन्दा रख, मानवता हित आगे बढ़। मुश्किल बहुत है मन्जिल पाना, सीढ़ी धीरे धीरे चढ़। बा…
Read more »जड़ों से जुड़कर ही वृक्ष फलते फूलते, बिना जड़ के वृक्ष फल फूल नहीं लगते। लौटना होगा पुराने दौर में …
Read more »चूल्हा चौका गोबर से लीपा जाता था, चौके में ही बैठ भोजन किया जाता था। फूँकनी से फूंक मार, था चुल्हा …
Read more »लानत है, हाकिम को बेगाना समझे- लानत है, दुश्मन को जो अपना समझे, लानत है। बोल रहा जो पाक की भाषा- ला…
Read more »हो सके तो कभी सपने में तनिक आओ डॉ रामकृष्ण मिश्र हो सके तो कभी सपने में तनिक आओ नेहमय किस्से विग…
Read more »मतदान डा उषाकिरण श्रीवास्तव आओ लोक पर्व की बात करें हम मिलजुल कर मतदान करें, ई वी एम क…
Read more »"प्रतिरोध की आग" प्रतिरोध है कहीं अगर, होना चाहिए उसे प्रतिरोध की तरह। दमन के अंधकार में …
Read more »अच्छे और बुरे का मिश्रण ही,यह संसार है। इस विषय में सदैव तर्क करना सर्वथा बेकार है।। हम धरती पर स्व…
Read more »जरुरत क्या थी ...? विनय मिश्र "मामूली वुद्धि" जरुरत क्या थी ...? पडोसी के पलते आतंक पर म…
Read more »कासे लिखूँ प्रीत पिया नत नयन से लूँ बलाएं, सोचूँ तुमको नित पिया। गाती जो मैं गीत विरह का, कासे लिखू…
Read more »पूर्ण विराम अंत नहीं, नए वाक्य की शुरुआत है सकारात्मक सोच प्रशस्त, नवल धवल अनुपम पथ । असफलता अधिगम …
Read more »शिकायते है पर एक है तेरे चक्कर में पड़कर बहुत दिन निकाल दिये है। तभी तो जिक्र दोनों का बहुत ज्यादा …
Read more »सब कुछ है, संतोष नहीं, तो सब कुछ है बेकार । उम्र गुजारा ढेर लगाते, जीवन हुआ नहीं पार ।। महल बनाया…
Read more »"लफ़्ज़ों के जादूगर, जज़्बातों से बेखबर" लफ़्ज़ों में महारत है, जज़्बात समझने में ज़रा कच…
Read more »चुनाव से जुड़ाव. (राजेन्द्र पाठक ) ये ऐसा..चुनाव है या कि, वैसा..चुनाव है ? इकतरफ,दोतरफ या चौतरफ चुन…
Read more »वाह री जिन्दगी खेतों की पगडंडियों पर आम के झूरमूठों के बिच न…
Read more »गर्मी का ऐसा आलम है, झरका करता बे दम है। सुबह सुबह रोज सूरज, मिज़ाज लेकर आता है। अंदर छुप कर पड़े…
Read more »लोकसभा के आम चुनाव और उनका संक्षिप्त इतिहास देश की पहली लोकसभा के चुनाव: 1951- 52 आजादी से पहले भार…
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