आया स्वर की बन्दिश सुनो दिलदार मनमोहन तुम्हीं से दिल लगाया है- सभी को आज ठुकराकर तुम्हें अपना बनाया…
Read more »प्रयास और विस्वास हर पल में आस है। जीवन कुछ खास है।। गिरता हूँ, उठता हूँ, आगे फिर बढ़ता हूँ। रूकने …
Read more »लोक माता अहिल्याबाई होलकर डॉ उषाकिरण श्रीवास्तव मराठा साम्राज्य की महारानी लोक माता अहिल्…
Read more »(अहिल्या बाई होलकर जयंती _2025 ) अहिल्या बाई होलकर,ज्योतिर्मय विराट व्यक्तित्व जनमानस लोक माता छवि,…
Read more »अहिल्या:- एक स्तंभ सनातन का वो युद्ध की नायिका भी थी हाथ में तलवार थामी थी उसने पर उसकी दृष्टि में …
Read more »अलभ्य शब्द शब्दों के पंखों पर चढ़ मैं उड़ना चाहता था नभ में, पर हर बार स्वप्न-सी गति छूट गई अंजान…
Read more »बाहर से कुछ भीतर से कुछ बा बाहर से कुछ भीतर से कुछ बा , जेकरा बा पूॅंछ ओकरे पूछ बा । नईखे ओकर दुनिय…
Read more »श्रेष्ठ पत्रकारिता डॉ रश्मि प्रियदर्शनी पत्रकारिता वही श्रेष्ठ, जो जन-जन का कल्याण करे। रह निष्पक्ष…
Read more »काव्य रस अपूर्व की उत्पत्ति सृजन अठखेलियां अद्भुत अनूप, सदा नवल धवल शब्द श्रृंगार । भाव भंगिमा मस्त…
Read more »लोकतंत्र का चतुर्थ स्तंभ,सत्य संग खड़ा रहे अनंत हार्दिक शुभकामनाएं, हिंदी पत्रकारिता परम दिवस । निर…
Read more »बरसात चाहे हो दिवा बरसात का , चाहे हो बरसात की रात । रात में हो शीतल चाॅंदनी , दिशाऍं रहती हैं मुस्…
Read more »लालटेन जबसे आए चकाचौंध के घेरे में , फॅंसे रह गए बिजली के फेरे में । गुल हो जाती जब यह बिजली , रहना…
Read more »पलकों में अवकलित,बस तुम्हारी छवि पुलकित प्रफुल्लित आनन बिंदु, मनमोहक मृगनयनी चाल ढाल । किसलय सम कोम…
Read more »लोग हुए बेशर्म जय प्रकाश कुंवर कल भरी सभा में नेता जी, उंची आवाज में बोले जा रहे थे। न सोच सही था, …
Read more »दिव्य रश्मि बहुत ही खुशी की बात है यारों दिव्य रश्मि मना रहा बारहवाँ वर्ष जिसके लिए एकत्रित हैं सार…
Read more »सपना / स्वप्न / ख्वाब गुजर जाती है जिंदगी , सपने ही देखते देखते । कुछ आती है राहों पर , शेष लुप्त द…
Read more »जाने तुमने क्या कर डाला दर्पण से सम्बन्ध बढ़ गया तन से चुनरी लगी खिसकने पैरों में कम्पन सा बढ़ गया।…
Read more »नये दौर में नया दौर, कुछ ऐसा आया, घर बेटी का, क़ब्ज़ा माँ ने वहीं जमाया। सुबह शाम फ़ोन पर बातें, चि…
Read more »सावरकर जी की जयन्ती पर नमन वीर विनायक दामोदर सावरकर डॉ अ कीर्तिवर्धन गणेश, विनायक और नारायण, एक ही …
Read more »(भारतीय अर्थव्यवस्था के संदर्भ में कुछ पंक्तियां सादर निवेदित हैं _) मरती है सारी दुनिया,इसकी अल्हड…
Read more »आया स्वर की बन्दिश सुनो दिलदार मनमोहन तुम्हीं से दिल लगाया है- सभी को आज ठुकराकर तुम्हें अपना बनाया…
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