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सत्य धर्म स्वीकार्यता, श्री कृष्ण कर्ण संवाद में
वफादार ----
जब मन तडफे व्याकुल होऊँ
सारा जग ही मुझको प्यारा,
भूत, भविष्य, वर्तमान
रिश्तों का प्राणांत——एक साज़िश
कसमसाहट
सुनो कहानी एक पेड़ की
इस लजीली चाँदनी में
तारों से भी पार जाऊॅं
धूप में जलते हैं खुद और पाँव में छाले पड़े,
. "अवचेतन की उदासी"
श्रम की अठखेलियों में, खुशियों की रवानी है
मुनिया बेटी
चलो मजदूर दिवस मनाऍं
मजदूर शब्द सामान्य नहीं ,
"मज़दूर की वेदना"
नव भोर हमें उठाता है
गर्मी, ग्रीष्म , तपन
कोई गीत लिखना चाहता हूँ