लोक माता अहिल्याबाई होलकर
डॉ उषाकिरण श्रीवास्तवमराठा साम्राज्य की महारानी
लोक माता अहिल्याबाई,
आठ वर्ष की उम्र में हीं
राज वधु बनकर इंदौर आई।
अद्भुत योद्धा न्याय की देवी
राज्य का चहुंमुखी विकास किया,
राज-काज, संस्कृति की रक्षा को
संकल्पनिष्ठ दृढ़ प्रतिज्ञ थीं।
पति खंडेवाल के मृत्यु के बाद
39वें वर्ष में वैधव्यता को प्राप्त हुआ,
पुत्र थे मालेराव जी पुत्री मुक्ता वाई थी
पराक्रमी और बड़े हीं धैर्य वान थी।
धर्म के प्रति समर्पित होकर
जीवन अपना सौंप दिया,
सोमनाथ मंदिर बनवाया
काशी में काशी विश्वनाथ।
न्याय प्रिय और दूरदर्शी
प्रजा के प्रति समर्पित थीं,
गाय के बछड़े के मौत के बदले
बेटे को मौत की सजा सुनाई थी।
तलवारबाजी में थीं निपुण
हाथी की सवारी करतीं थीं,
कोल-भील को सेना में रखकर
दुनिया में यश-कृर्ति फैलाईं थीं।
ऐसी महान नारी शक्ति को
शत-शत करते हैं हम प्रणाम,
युगों-युगों तक अमर रहेगा
लोक माता अहिल्याबाई का नाम।
संस्थापक -स्वर्णिम कला केंद्र
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सह राज्याध्यक्ष जीवन धारा नमामि गंगे, बिहार
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