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मरती है सारी दुनिया,इसकी अल्हड़ जवानी पर

(भारतीय अर्थव्यवस्था के संदर्भ में कुछ पंक्तियां सादर निवेदित हैं _)

मरती है सारी दुनिया,इसकी अल्हड़ जवानी पर

मस्त मलंग अर्थ अठखेलियां,
नयनन विकास नेह निर्झर ।
कृषि संग प्रणय अंतरंग भाव,
चाह प्रगति उल्लास हर घर ।
परा सह अधुना समावेशन अनूप,
उद्योग सेवा क्षेत्र अग्र हिंद रवानी पर ।
मरती है सारी दुनिया,इसकी अल्हड़ जवानी पर ।।


डिजिटल युग पट नई उड़ान,
स्टार्टअप प्रयोग नवाचारों संग ।
कृषि उत्संग तकनीकी आह्लाद,
उत्पादन यौवन अंग प्रत्यंग ।
स्वीकार प्रतिकार पथ कंटक ,
चुनौतियां पस्त धरती धानी पर ।
मरती है सारी दुनिया,इसकी अल्हड़ जवानी पर।


गरीबी असमानता बेरोजगारी ,
आर्थिक तंत्र अहम समस्या ।।
आय संसाधन बढ़ोतरी प्रयास,
रोजगार सृजन अखंड तपस्या ।
शिक्षा प्रौद्योगिकी चिकित्सा बिंदु,
जोश उत्साह उमंग नई कहानी पर ।।
मरती है सारी दुनिया, इसकी अल्हड़ जवानी पर ।।


यू.पी.आई.नोटबंदी,जी.एस.टी.,
आर्थिक सुधार अहम प्रयास ।
प्रोत्साहन लघु कुटीर उद्योग,
स्वदेशी उन्मुख उन्नति उजास ।
अद्य चतुर्थ आर्थिक महाशक्ति ,
कामना शीर्ष भावी आर्थिक भोर सुहानी पर ।
मरती है सारी दुनिया,इसकी अल्हड़ जवानी पर ।।


कुमार महेंद्र
(स्वरचित मौलिक रचना)
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