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आया स्वर की बन्दिश

आया स्वर की बन्दिश

सुनो दिलदार मनमोहन तुम्हीं से दिल लगाया है-
सभी को आज ठुकराकर तुम्हें अपना बनाया है।


तुम्ही मेरा मुकद्दर हो तुम्हीं हो जिंदगी मेरी-
करो स्वीकार हे भगवन तुम्हें मन मे बसाया है।


भरोसा है बहुत तुमपर कि तुम मुझको न छोड़ोगे-
अगर तुम अब नहीं आए मरूँगी मन बनाया है।


जगत के रंग क्या देखूँ तेरा दीदार काफी है-
करूँ मैं प्यार क्यों मोहन ये दुनिया मोह माया है।


कहाँ ढूंढू तुझे मोहन पता तेरा नहीं मिलता-
बने क्यों हो बहुत निष्ठुर मुझे क्यों कर रुलाया है।


रहूँ मैं याद में हरदम करूँ मैं कामना तेरी-
मगर तुमने हमेशा ही मुझी को आजमाया है।


करो उपकार हे भगवन पड़ी है "रेणु" चरणों में-
सुदामा दीन को जैसे गले तुमने लगाया है।डॉ रेणु शर्मा,वैशाली,बिहार
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