नये दौर में नया दौर, कुछ ऐसा आया,
घर बेटी का, क़ब्ज़ा माँ ने वहीं जमाया।सुबह शाम फ़ोन पर बातें, चिन्ता करती,
सो रहे दामाद तो, बेटी काम क्यों करती?
थकी लगी बेटी बातों से, माँ घबरा जाती,
पकड़ ट्रेन पहली वह, बेटी के घर जाती।
परदेश में निज बेटा, बात नहीं सुनता है,
बूढ़ा बाप अकेला घर में, तारे गिनता है।
भटक रहा दो रोटी खातिर, होटल ढाबे,
बेबस है सुख शान्ति, पत्नी ज़िद के आगे।
बेटी की ससुराल जमाया, जा डेरा माँ ने,
दामाद परेशान, पत्नी बस माँ की माने।
तरस गया रोटी को, दोनों की बातें जारी,
पति पत्नी में तनाव, तलाक़ की तैयारी।
रिश्तों की मर्यादा, सम्मान करना सीख लो,
बेटी घर हस्तक्षेप, बचना बचाना सीख लो।
परिवार मतलब समर्पण, सामंजस्य भाव है,
ज़िम्मेदारी का निर्वहन, सुख दुख समभाव है।
डॉ अ कीर्ति वर्द्धन
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews #Divya Rashmi News, #दिव्य रश्मि न्यूज़ https://www.facebook.com/divyarashmimag
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com