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कासे लिखूँ प्रीत पिया

कासे लिखूँ प्रीत पिया

नत नयन से लूँ बलाएं,
सोचूँ तुमको नित पिया।
गाती जो मैं गीत विरह का,
कासे लिखूँ प्रीत पिया?
मृदुल मधु बयार लगे प्यारा,
करुण क्रन्दन का किनारा,
भयातुर क्यों यह मन मेरा?
कासे लिखूँ मैं जीत पिया?
अथाह अनंत व्योम में डूबा
स्वर्णिम स्वप्न मेरे मन का,
छू छवि तेरी विधु बिम्ब बनी,
कासे लिखूँ ये रीत पिया?
शांत सिंधु की निःसीमता,
अतुल अटल प्रीत की क्षमता,
नीर नीरवता का हरा तूने,
कासे लिखूँ युग-गीत पिया?
डॉ रीमा सिन्हा
(लखनऊ )
स्वरचित
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