अच्छे और बुरे का मिश्रण ही,यह संसार है।
इस विषय में सदैव तर्क करनासर्वथा बेकार है।।
हम धरती पर स्वर्ग की,
मात्र कल्पना करते रहते हैं।
पर यह धरती कैसे स्वर्ग बने,
ऐसा उद्यम नहीं करते हैं।
यहाँ कहीं पाप है ,कहीं पुण्य है,
कहीं भरा है, कहीं शुन्य है।
कहीं सुबह है, कहीं शाम है,
कहीं रावण है, तो कहीं राम हैं।
जगत के आदि से अभी तक,
यही होता आ रहा है।
कभी स्वर्णिम उजाला तो,
कभी घोर अंधेरा छा रहा है।
हानि लाभ, सुख दुख,
जीवन मरण, सब ईश्वर की देन है।
हर जगह अशांति ही नहीं,
कहीं कहीं अद्भुत प्रेम है।
जरूरत है हमें खुद को परखने की,
और नेक इंसान बनने की।
हमें जरूरत है सुख दुख बांटने की,
और शस्त्र की होड़ त्यागने की।
अगर हम सब ऐसा कर सके,
तो सब कुछ ठीक हो जाएगा।
विश्व बंधुत्व का साम्राज्य होगा,
यह धरा ही स्वर्ग बन जाएगा।
जय प्रकाश कुवंर
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