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चेहरे पर मुस्कान
प्रशासन की नाकामी
चमकतो चान महुआ तर, न कहिओ रात में जइहऽ।
कौन सा  नशा कहो मैं छोड़ दूॅं
भारतीय नववर्ष
पुस्तक ............
पाप सदा बढ़ते,पुण्यों के प्रतिवाद से
अनहद नाद गूंज रहा चहुं दिस
रंगो से प्रेम
जो मर्यादा का पालन करता, वह आज भी राम है,
निज श्वासों से पृथक न समझी,