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जो गया मुँह फेर कर, मीत है।
स्त्री प्रकृति की महारानी
वो हूँ मैं
जीना है तो मरना सीखो, गर पाना है तो खोना सीखो,
तुम नेह की स्वाति सुगंध हो
माँ ने दिया ज्ञान
कहिए कैसे आपके हैं विचार ,
चाहत के मौन गलियारों में,प्रणय मृदुल स्पंदन
दस्तक
अंतःपथ
सग के शिकम में घी कभी भी पच नहीं सकता।