अपने लिए तो सब जीते हैं | जय प्रकाश कुअर अपने लिए तो सब जीते हैं , तुम,कभी किसी और के लिए जी कर तो …
Read more »स्वच्छता के लिए सबका साथ स्वच्छता के लिए कूड़ा का विनाश हो, सूखा कूड़ा अलग और गिला कूड़ा अलग रखन का प्…
Read more »खून उबल रहा है --:भारतका एक ब्राह्मण. संजय कुमार मिश्र अणु ----------------------------------------…
Read more »नूतन वर्ष ऋचा श्रावणी नव दीप जले नव फूल खिले नव जीवन मिले सर्वत्र नवींता छाया हैं हिंदू नव वर्ष आय…
Read more »आओ देखें-- जीवन कितना सरल सहज है आओ देखें निश्छल बचपन खेल रहा है आओ देखें कल-कल बहता नदिया का जल आओ…
Read more »मन्दिर मस्जिद गुरुद्वारे, चर्चों की हम बात करें, व्यवधान जो करें मार्ग में, उन पर प्रतिघात करें। सड…
Read more »जब सूख चुके हों ताल तलैया, नदीयाँ भी सूखी सूखी, तब गगन में उमड़े घुमड़े, बादल भी सुखकर लगते हैं। जब…
Read more »जब कुंठाओं से ग्रस्त आदमी रहता है, मीठे को भी खारा खट्टा वह कहता है। नहीं देखता अच्छा क्या कमियों क…
Read more »कौन जिया है खुद की खातिर, यह तो हमको बतला दो, बूढा बाप जिया या भैया, यह भी सबको समझा दो। दिन भर मेह…
Read more »वृद्धाश्रम में मात पिता, क्यों दोष बेटे पर ही लगते, बाहर गये क्यों सास ससुर, बेटी को कुछ न कहते? लड…
Read more »मर गये तो क्या तुम्हारे साथ जायेगा, ज़िम्मेदारी अहसास धरा रह जायेगा। हो गये बच्चे बड़े, सब सौंप दो …
Read more »हे वागेश्वरी मैया ,ऐसा वर दे मृदुल मधुर ह्रदय तरंग, स्वर श्रृंगार अनुपम । विमल वाणी ओज गायन, ज्योत…
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