अपने लिए तो सब जीते हैं ,

अपने लिए तो सब जीते हैं |

जय प्रकाश कुअर
अपने लिए तो सब जीते हैं ,
तुम,कभी किसी और के लिए जी कर तो देखो ।।
अमृत पान तो सब करना चाहते हैं ,
कभी गरल विष पीकर तो देखो ।।
सारे देव दानव अमृत पान करना चाहते थे ,
पर हलाहल विष भी तो साथ ही था ।।
जगत की रक्षा हेतु शिव ने उसे पान किया ,
जगत ने ही शिव को नीलकंठ नाम दिया ।।
आसान नहीं होता है,दुसरों के लिए जीना ,
जियो किसी और के लिए , तो हलाहल पड़ेगा पीना ।।
जिसको घर और समाज ने बिना कारण ठुकराया है ,
हालत पर अगर तेरा आंसू छलक आया है ।।
दर्द अगर समझ उसका तुम जो अपनाओगे ,
बेरहम समाज से अपने को अलग थलग पाओगे ।।
फिर भी अगर हिम्मत हो तो, उसे अपनाकर तो देखो ,
अपने लिए तो सब जीते हैं ,
तुम , किसी और के लिए जी कर तो देखो ।।
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