वयं राष्ट्रे जागृयाम पुरोहितः

वयं राष्ट्रे जागृयाम पुरोहितः

(उठ जाग मुसाफिर भोर भई)

राज्य*(State) - वैश्विक स्तर पर माननीय विधिक संस्था है बल्कि वर्तमान में तो राज्य ही सर्वोपरि एवं सर्वाधिक सशक्त और विधिक रुप से प्रतिष्ठित संस्था है ।
ऐसी स्थिति में किसी भी काल में भारत के किसी भी हिस्से में छल कपट से या यहां के वास्तविक मुख्य समाज के कुछ धर्म ज्ञान शून्य लोगों की सहमति से या बुद्धि भ्रष्ट लोगों के साथ से,
कुछ दिन तक लूटपाट और मनमानी करने वाले लोगों को ,
यहां का राजा या शासक कहना अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हिंदू समाज और भारतवर्ष की पराजय को रेखांकित करना है।।
संसार में कोई भी समाज अपने साथ दुष्टों के द्वारा किए गए अनाचार और अत्याचार को राज्य कहकर वैधता नहीं देता ।
इंग्लैंड में वर्षों तक कुछ हिस्से पर फ्रांस का शासन था परंतु इंग्लैंड के लोग कभी भी उसे फ्रांस का राज्य या प्रशासन नहीं कहते ।
अपितु फ्रांस का अनधिकृत हस्तक्षेप कहते हैं ।

फ्रांस में जर्मनी का वर्षों तक आधिपत्य रहा।
परंतु फ्रांस के लोग उसे फ्रांस का शासक नहीं मानते, फ्रांस का राज्य नहीं मानते ।उसे अनुचित हस्तक्षेप hi कहते हैं।

इसी प्रकार विश्व के सभी देशों की यही स्थिति है।
केवल भारत में अंग्रेजों से जाने किन शर्तों पर संधि कर "पावर" का ट्रांसफर अपने नाम करा चुके लोग और उनके सभी उत्तराधिकारी राजनीतिक समूह यही कदर्य ,कुत्सित, लज्जास्पद भाषा बोल रहे हैं।
दस्यु दलों और उत्पातियों तथा कपटी और कुटिल लुटेरों के कुछ समय तक किए गए अनाचार को वे उस समय का भारत का राज्य बता रहे हैं ।
और ऐसा झूठ बोलते हुए वह उन्हें वैधता दे रहे हैं।
स्वयं मुख्य समाज यानी स्वयं हिंदू समाज यदि उसे वैधता देने लगेगा तो वह उनकी वैधता ही कहलाएगी।
इस साधारण बात को भी हिंदू बौद्धिक नहीं जानते और फिर भी जाने किस हिंदुत्व की रट लगाए रहते हैं ।
उठ जाग मुसाफिर भोर भई, अब रैन कहां जो सोवत है। जो सोवत है सो खोवत है ,जो जागत है सो पावत है।।
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