हे वागेश्वरी मैया ,ऐसा वर दे

हे वागेश्वरी मैया ,ऐसा वर दे

 मृदुल मधुर ह्रदय तरंग,
स्वर श्रृंगार अनुपम ।
विमल वाणी ओज गायन,
ज्योतिर्मय अन्तरतम ।
गुंजित कर मधुमय गान ,
नव रस लहर मानस सर दे ।
हे वागेश्वरी मैया,ऐसा वर दे ।।


दुर्बल छल बल मद माया,
प्रसरित जग जन जन ।
दे निर्मल विमल मति,
तमस हर कण कण ।
नवगति नवलय जग अनूप,
नव दृष्टि नवल ज्ञान अमर दे।
हे वागेश्वरी मैया, ऐसा वर दे ।।


हे कृपानिधि करुणामय,
दया नीर कण छलका दो ।
प्यासे नयन अंतरस्थ,
निज स्वरूप झलका दो ।
पुलकित पावन चरण बिंदु,
स्पर्श स्तुति अष्ट याम असर दे ।
हे वागेश्वरी मैया, ऐसा वर दे ।।


समय काल स्वर्ण आभा,
सर्वत्र मोद उल्लास ।
आजीवन अथाह कृपा,
प्रबल आस्था विश्वास ।
प्रेम सुमन महके जीवन ,
सर्व सुख समृद्धि आगार भर दे ।
हे वागेश्वरी मैया , ऐसा वर दे ।।


महेन्द्र कुमार
(स्वरचित मौलिक रचना)
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ