मर गये तो क्या तुम्हारे साथ जायेगा,
ज़िम्मेदारी अहसास धरा रह जायेगा।
हो गये बच्चे बड़े, सब सौंप दो उनको,
शान्त मन खुशहाल जीवन हो जायेगा।
कोसने लगते हैं बच्चे, उम्र के ढलान पर,
कब मरेगा बूढ़ा, हम पहुँचेंगे मुक़ाम पर।
है यही रीत, शास्त्रों में बताई सनातन ने,
सौंप दो दायित्व सारे, शाम के मचान पर।
बच्चे सँभाले घर गृहस्थी, और संस्कार को,
मार्गदर्शन हम करे, घर परिवार व्यापार को।
रिश्ते निभायें सुख दुःख बाँटे, मिलकर रहें,
हम सदा प्रतिबद्ध रहें, संस्कृति विस्तार को।
अ कीर्ति वर्द्धन
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