स्वच्छता के लिए सबका साथ

स्वच्छता के लिए सबका साथ

स्वच्छता के लिए कूड़ा का विनाश हो,
सूखा कूड़ा अलग और गिला कूड़ा अलग रखन का प्रयास हो ।
सभी जीव जन्तु जीवित और स्वस्थ रहे, गंदगी का अवकाश हो, 
शहरों और गाँव में खुशहाली रहे, विषाणु और जीवाणु का नाश हो
बीमारियों के प्रति हम सजग रहे, सावधान रहे हर अस्पताल को स्वच्छ रखने का प्रयास हो ।
पेड़ो पर निर्भर है ये मनुष्य जीवन, जीवन में एक पेड़ लगाने की सबकी जिज्ञासा हो। 
हर गाँव हर शहर की यही रंग, रूप और भाषा हो ।
वायु प्रदूषण कम करे, ये दायित्व का सबको आभास हो
गाँव में घर-घर शौचालय हो, मृदा प्रदूषण का नाश हो।

गली महंला साफ रहे, जब सबलोग में एकता और विश्वास हो ,
ना रहेगी गंदगी अब हमसे बच कर, यह दृढ़ निश्चय पूरे देश में एक साथ हो 1
स्वच्छता का आन्दोलन चलता रहे, बूढ़ा, किशोरी और बच्चा इस आन्दोलन के साथ हो 1
स्वच्छता से ही हर देश कामियाबी के शिखर पे चढ़ा है,

खिशिखर पर चढ़ने की चाह सारे देशवासियों का एक साथ लच्छ है 
ये गांधी जी का, हर गाँव हर शहर कूड़ा रहित और इन बातों पर ध्यान रहे, 
तभी तो देश का विकाश हो।
 लेखक राकेश कुमार
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