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'कमल' की लेखनी का विद्रोह'
लोकतंत्र अभयदान,शत प्रतिशत सही मतदान
चुप रहकर तुम सब बोल गए।
मान प्रतिष्ठा
"मौन की शक्ति: नींव का पत्थर"
निर्वस्त्र पेंड़ों पर कोंपलों को झांकते देखता हूँ जब
रहता है प्रतिभात सामने तेरा मंजुल छायाभास।
जय सिद्धिदात्री माॅं
रामनवमी महापर्व पर,हिंदुत्व उद्घोष प्रचंड कर
श्रीराम जी का मंदिर
हे बालरूप श्रीराम लला,
सच को सच कहने से डरते हैं
राम नवमी का पावन त्यौहार
राम
रामलला सूर्य अभिषेक,अद्भुत अनुपम विशेष
"ज़िन्दगी के विषम रंग"
चाँद कहकर तुझे मैं बुलाने लगी।।
बाँच ली मैंने व्यथा
उनसे कहती है हवा
शेरोवाली माँ