राम

राम

राम से है धरा, राम से है गगन।
राम से है प्रगति, राम से है पतन।।
राम से राम हैं, राम से हैं सिया।
राम से सर्व सुख,राम ने दुख लिया।।
राम से साधना, राम से है भजन।
राम से है धरा, राम से है गगन।।


राम से धूप है, राम से वृष्टि है।
राम से अंध में भी परम दृष्टि है।।
राम से स्वप्न है, राम से लालसा।
राम से राममय है निरंतर रसा।।
राम से अग्नि है, राम से है गलन।
राम से है धरा, राम से है गगन।।


राम से आदि है, राम से अंत भी।
राम से पातकी, राम से संत भी।।
राम से जीव हैं, राम से है जगत।
राम से दुष्ट हैं, राम से हैं भगत।।
राम से है प्रकृति, राम से है पवन।
राम से है धरा, राम से है गगन।।

डॉ अवधेश कुमार अवध
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