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मैं और मेरे में ही सिमट गये हैं सारे रिश्ते
भीगी प्रेम दीवानी राधा
दर्द ए दास्तां कोयल की
हमारी भी हैं कुछ पहचान
एक दौर था सासू का
रंग-विरंगे फूलों जैसे
महिला प्रबंधक
रंगो से प्रेम करके
होली और हम
मौन की पीडा
आओ खेलें जमकर होली, रंग- अबीर- गुलाल से,
होली खेलो कान्हा ऐसी
होली है
होली की है रुत आयी, आजा परदेसी मन तरसे।
तनी छेडऽ बसुलिआ के तान
रंग दूँ तुझे मैं अपने रंग में
इन्द्र्धनुष के रंगों जैसा, मुझको रंग दो,
मुखौटों कि दुनिया
पर उपदेश
बदला है नववर्ष, नया संवत आया है,