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कर्मों का आरम्भ किये बिना मनुष्य नैष्कम्र्य
कर्मफल के आश्रय का त्याग ही आसक्ति है
मननशील को कहते हैं मुनि
ज्ञान के तीन दोष-मल, विक्षेप व आवरण
राग-द्वैष हैं कल्मष-पाप
काम व क्रोध के वेग को रोकें
सर्वत्र समभाव रखता है ज्ञानी
शास्त्रानुकूल चेष्टाएं करने वाला वशी
16 दिसंबर से लग जायेगी मांगलिक कार्य पर रोक
आसक्ति को छोड़ कर्म करने का उपदेश
अर्जुन को सांख्य योग के साधन का ज्ञान