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फर्जी मतदाता और उनके संरक्षक लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरा : डॉ. विवेकानंद मिश्र

फर्जी मतदाता और उनके संरक्षक लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरा : डॉ. विवेकानंद मिश्र

  • गया में कौटिल्य मंच की परिचर्चा में मतदाता सूची की शुचिता और राष्ट्रीय सुरक्षा पर हुआ मंथन
गया (बिहार), संवाददाता।
डॉ. विवेकानंद पथ स्थित गोलबगीचा में कौटिल्य मंच के तत्वावधान में रविवार को एक विचारगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें बिहार में चल रहे मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान के दौरान उजागर हो रही खामियों पर गहन विमर्श हुआ। वक्ताओं ने इसे लोकतंत्र की आत्मा पर चोट और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बताया। साथ ही, जनजागरूकता बढ़ाने और दोषियों के खिलाफ कठोर दंड की मांग की।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए भारतीय राष्ट्रीय ब्राह्मण महासभा एवं कौटिल्य मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. विवेकानंद मिश्र ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि "मतदाता सूची में नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार के नागरिकों के नाम पाया जाना महज प्रशासनिक लापरवाही नहीं, बल्कि लोकतंत्र की आत्मा के साथ घोर विश्वासघात है। यह देश की संप्रभुता और सुरक्षा पर सीधा प्रहार है।" उन्होंने चुनाव आयोग द्वारा चलाए जा रहे सत्यापन अभियान का समर्थन करते हुए इसे साहसी और राष्ट्रहितकारी कदम बताया और अपील की कि आयोग को इस कार्य में किसी भी दबाव के आगे नहीं झुकना चाहिए।

डॉ. मिश्र ने कटाक्ष करते हुए कहा कि दुर्भाग्य की बात है कि कुछ राजनीतिक दल राष्ट्रहित की जगह तात्कालिक राजनीतिक स्वार्थ को प्राथमिकता दे रहे हैं। उन्होंने सभी दलों से आग्रह किया कि वे राष्ट्रीय सुरक्षा और लोकतंत्र की पवित्रता के प्रश्न पर एकजुट हों।

राष्ट्र के साथ विश्वासघात है फर्जी मतदाता जोड़ना : डॉ. रविंद्र कुमार
कौटिल्य मंच के प्रदेश महासचिव डॉ. रविंद्र कुमार ने कहा कि मतदाता सूची में विदेशी नागरिकों के नाम दर्ज होना न केवल चुनाव आयोग की लापरवाही है, बल्कि यह राष्ट्र के साथ विश्वासघात भी है। उन्होंने मांग की कि केवल फर्जी नामों को हटाना ही नहीं, बल्कि उन्हें जोड़ने वालों और संरक्षण देने वालों को भी कठोर दंड दिया जाए।

लोकतंत्र की आत्मा को न दूषित होने दें : आचार्य माधव
वरिष्ठ साहित्यकार आचार्य राधा मोहन मिश्र 'माधव' ने कहा, "मतदाता लोकतंत्र की आत्मा होता है। यदि इसमें मिलावट हो जाए, तो लोकतंत्र केवल एक ढांचा बनकर रह जाएगा।" उन्होंने मतदाता सूची में विदेशी नामों को सांस्कृतिक और नैतिक अपराध बताते हुए कठोर दंड नीति की जरूरत जताई।

गरीबों के अधिकारों पर खुली डकैती : आचार्य नैकी
साहित्यकार आचार्य सच्चिदानंद मिश्र 'नैकी' ने कहा कि फर्जी मतदाता केवल चुनावी संकट नहीं है, बल्कि इससे गरीबों के राशन कार्ड, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसी सुविधाओं पर भी असर पड़ता है। यह देश के गरीबों के अधिकारों की खुली डकैती है, जिसके खिलाफ समाज को जागना होगा।

अन्य वक्ताओं की राय
इस अवसर पर अन्य वक्ताओं ने भी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि मतदाता सूची में फर्जी नाम जुड़ना लोकतंत्र के स्वास्थ्य में संक्रमण समान है।


डॉ. दिनेश सिंह ने इसे गरीबों के अधिकारों पर हमला बताया।


पंडित हरिनारायण त्रिपाठी ने चुनाव आयोग की सघन पुनरीक्षण प्रक्रिया का स्वागत किया।


डॉ. ज्ञानेश भारद्वाज ने फर्जी मतदाताओं के संरक्षकों को भी दंडित करने की मांग की।


मनीष कुमार ने आयोग से अभियान को दृढ़ता से जारी रखने की अपील की।

उल्लेखनीय उपस्थिति
विचारगोष्ठी में कौटिल्य मंच एवं भारतीय राष्ट्रीय ब्राह्मण महासभा के पदाधिकारियों के साथ-साथ सामाजिक कार्यकर्ता, अधिवक्ता, साहित्यकार, शिक्षाविद, और विभिन्न धार्मिक-सांस्कृतिक संस्थाओं के प्रतिनिधि उपस्थित थे। प्रमुख उपस्थितजनों में शामिल रहे —

आचार्य स्वामी सुमन गिरि, वल्लभ जी महाराज, स्वामी गोपालाचार्य जी, शिवचरण डालमिया, महेश बाबू गुप्त, गजाधर लाल पाठक, प्रो. मनोज कुमार मिश्रा, प्रो. अशोक कुमार, पंडित अजय मिश्रा, आचार्य अरुण मिश्रा 'मधुप', आचार्य सुनील कुमार पाठक, आचार्य अभय कुमार, अमरनाथ पांडे, किरण पाठक, नुसरत प्रवीण, इशरत जमील, तरन्नुम तारा, तस्लीम नाज, रेशमा परवीन, रोबिना खातून, रंजीत पाठक, पवन मिश्र, कवित्री रानी मिश्रा, ज्योति मिश्रा, रीता पाठक, श्वेता पांडे, धर्मेंद्र पाठक, गणेश मिश्रा, रमाशंकर मिश्र, सुनील कुमार, ऋषिकेश गुर्दा, दीपक पाठक, आनंद कुमार सिंह, मनीष कुमार, उत्तम पाठक, मुन्ना बाबू पाठक, आचार्य रूपनारायण मिश्र, पं. बालमुकुंद मिश्र, देवेंद्र नाथ, प्रतिमा रानी, सुनीता देवी, प्रियांशु मिश्रा, अपर्णा मिश्रा, पुष्पलता चौबे, वीणा देवी, डॉ. रविंद्र कुमार मिश्रा, नीलम पासवान, विश्वजीत चक्रवर्ती, कविता रावत, शोभा कुमारी, प्रो. रीना सिंह, प्रो. गीता पासवान, संगीता कुमारी, पुष्पा गुप्ता, सरोज कुमारी, मृदुल मिश्रा, अर्चना मिश्रा, हिमांशु शेखर मिश्रा और फूल कुमारी यादव।

निष्कर्ष
परिचर्चा का सार यह रहा कि मतदाता सूची की शुचिता लोकतंत्र की नींव है। इस पर कोई समझौता नहीं होना चाहिए। फर्जी नामों को जोड़ने वाले और उनका संरक्षण करने वाले तत्व लोकतंत्र के अपराधी हैं और उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई समय की मांग है। कौटिल्य मंच ने समाज से अपील की कि राष्ट्रहित में सतर्कता, सजगता और संवेदनशीलता से काम लें और लोकतंत्र को हर हाल में शुद्ध और सुरक्षित रखें।

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