सी.आर.सी.एस.आर.ई-शिलांग में हिंदी कार्यशाला का सफल आयोजन

- हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार व सृजनात्मक अभिव्यक्ति को मिला नया आयाम
शिलांग, 14 जुलाई 2025
भारत सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग के प्रशासनिक नियंत्रणाधीन स्वामी विवेकानंद राष्ट्रीय पुनर्वास प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान (एस.वी.एन.आई.आर.टी.ए.आर), कटक, ओडिशा के अंतर्गत समेकित क्षेत्रीय कौशल विकास, पुनर्वास एवं सशक्तिकरण केंद्र (सी.आर.सी.एस.आर.ई-शिलांग) द्वारा आज एक दिवसीय हिंदी कार्यशाला का आयोजन किया गया।
यह कार्यशाला मोनफोर्ट ब्रदर्स बिल्डिंग, धानखेती, शिलांग में आयोजित की गई, जिसका उद्देश्य हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार को प्रोत्साहित करना, रचनात्मक अभिव्यक्ति को बढ़ावा देना और प्रतिभागियों के साक्षरता कौशल को सशक्त बनाना रहा। साथ ही, कार्यक्रम का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य प्रतिभागियों में हिंदी भाषा के प्रति रुचि जागृत कर, प्रभावी हिंदी संप्रेषण कौशल को विकसित करना था।
कार्यक्रम का शुभारंभ सी.आर.सी.एस.आर.ई-शिलांग के निदेशक डॉ. राम शकल साहनी के स्वागत भाषण से हुआ। उन्होंने हिंदी की राष्ट्रीय पहचान और प्रशासनिक उपयोगिता पर विस्तार से प्रकाश डाला। डॉ. साहनी ने कहा कि हिंदी केवल एक भाषा नहीं, बल्कि भारत की आत्मा को जोड़ने वाली सांस्कृतिक धारा है।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि ब्रदर डॉ. वी. के. जॉर्ज एस.जी. उपस्थित रहे। उन्होंने अपने प्रेरक संबोधन में समकालीन भारत में हिंदी की प्रासंगिकता को रेखांकित करते हुए कहा कि "हिंदी भाषा न केवल देश के प्रशासनिक और शैक्षणिक क्षेत्र में सेतु का कार्य कर रही है, बल्कि यह विभिन्न संस्कृतियों और जनसमूहों के बीच संवाद का सशक्त माध्यम भी बन चुकी है।"
कार्यशाला की मुख्य गतिविधियाँ:
कार्यशाला के दौरान प्रतिभागियों को हिंदी के व्याकरण, लेखन शैली, प्रशासनिक उपयोग और संप्रेषण कौशल से संबंधित विभिन्न रोचक सत्रों में भाग लेने का अवसर मिला। उल्लेखनीय गतिविधियों में शामिल रहे:
हिंदी टाइपिंग एवं औपचारिक पत्र लेखन अभ्यास
कहानी लेखन और कविता पाठ प्रतियोगिता
‘हिंदी और भारतीय संस्कृति’ विषय पर समूह चर्चा
हिंदी में संवाद लेखन और प्रस्तुति अभ्यास
हिंदी शब्दावली पर आधारित क्विज़ प्रतियोगिता
इन गतिविधियों ने न केवल प्रतिभागियों की भाषा दक्षता को बेहतर किया, बल्कि उन्हें हिंदी में आत्म-प्रकाशन और विचार-प्रस्तुति की प्रेरणा भी दी।
कार्यशाला में सी.आर.सी.एस.आर.ई-शिलांग के सभी अधिकारी, कर्मचारी, प्रशिक्षु एवं आमंत्रित प्रतिभागी बड़ी संख्या में शामिल हुए। सभी ने कार्यशाला को अत्यंत उपयोगी, उत्साहवर्धक और प्रेरक बताया। प्रतिभागियों को हिंदी के प्रयोग को अपने दैनिक कार्यों में अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया गया।
समापन और आभार:
कार्यक्रम के अंत में निदेशक डॉ. राम शकल साहनी द्वारा सभी अतिथियों, प्रतिभागियों और आयोजकों को धन्यवाद ज्ञापित किया गया। उन्होंने आशा व्यक्त की कि ऐसे आयोजनों के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को राष्ट्रीय स्तर पर और अधिक गति मिलेगी। यह कार्यशाला हिंदी भाषा को जन-जन तक पहुंचाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुई, जो न केवल भाषा-प्रेमियों के लिए प्रेरणास्त्रोत है, बल्कि प्रशासनिक क्षेत्र में कार्यरत कर्मचारियों के लिए भी व्यावहारिक रूप से लाभकारी सिद्ध होगी।
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