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सत्य, सहिष्णुता और अहिंसा के प्रणेता भगवान बुद्ध - सत्येन्द्र कुमार पाठक

सत्य, सहिष्णुता और अहिंसा के प्रणेता भगवान बुद्ध - सत्येन्द्र कुमार पाठक

जहानाबाद,। बुद्ध पूर्णिमा के पावन अवसर पर, जीवन धारा नमामी गंगे के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष साहित्यकार एवं इतिहासकार सत्येन्द्र कुमार पाठक ने भगवान बुद्ध को सत्य, सहिष्णुता, अहिंसा और अष्टांग योग का प्रणेता बताया। उन्होंने बुद्ध पूर्णिमा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह महत्वपूर्ण बौद्ध त्योहार गौतम बुद्ध के जन्म, ज्ञान प्राप्ति और महापरिनिर्वाण के स्मरण में मनाया जाता है। वैशाख माह की पूर्णिमा को मनाए जाने वाले इस पवित्र दिन पर, बौद्ध धर्म के अनुयायी विभिन्न धार्मिक गतिविधियों में भाग लेते हैं। इनमें बुद्ध की पूजा-अर्चना, बौद्ध ग्रंथों का पाठ, दीप जलाना और फूलों से सजावट प्रमुख हैं। बोधिवृक्ष की पूजा का भी इस दिन विशेष महत्व है। इसके अतिरिक्त, अनुयायी गरीबों को दान देते हैं और पक्षियों को मुक्त करते हैं, जो करुणा और जीवदया के बौद्ध मूल्यों को दर्शाता है। सत्येन्द्र कुमार पाठक ने गौतम बुद्ध के जीवन से जुड़े महत्वपूर्ण स्थलों का भी उल्लेख किया, जिनका बौद्ध धर्म में गहरा महत्व है। ये स्थल बौद्ध अनुयायियों के लिए पवित्र तीर्थ माने जाते है ।उन्होंने भगवान बुद्ध के जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं का भी स्मरण कराया, जिनका संबंध वैशाख पूर्णिमा से है: भगवान बुद्ध का जन्म: 563 ईसा पूर्व, लुंबिनी, नेपाल , ज्ञान प्राप्ति: 531 ईसा पूर्व, बोधगया, बिहार, भारत , प्रथम उपदेश: 531 ईसा पूर्व, सारनाथ, उत्तर प्रदेश, भारत , महानिर्वाण: 483 ईसा पूर्व, कुशीनगर, उत्तर प्रदेश, भारत में हुआ है। पाठक ने विश्व में बुद्ध की प्रमुख मूर्तियों और स्थलों का भी जिक्र किया, जिनमें भारत में हैदराबाद की विशाल बुद्ध प्रतिमा और राष्ट्रपति भवन में स्थापित प्रतिमा उल्लेखनीय हैं। चीन में लेशान के विशाल बुद्ध की प्रतिमा भी विश्व प्रसिद्ध है। बिहार राज्य में स्थित बौद्ध स्तूपों और मंदिरों के महत्व को रेखांकित करते हुए उन्होंने बोधगया, नालंदा, वैशाली, राजगीर, केसरिया और अमरपुरा जैसे महत्वपूर्ण स्थलों का उल्लेख किया। ये स्थल बौद्ध धर्म और संस्कृति की समृद्ध विरासत को दर्शाते हैं और आज भी बौद्ध अनुयायियों के लिए महत्वपूर्ण तीर्थ बने हुए हैं। सत्येन्द्र कुमार पाठक ने बुद्ध पूर्णिमा को बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर बताया, जो उन्हें अपने धर्म और संस्कृति का स्मरण करने और उसके मूल्यों को अपने जीवन में अपनाने की प्रेरणा देता है।
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