मां ही मेरी खुशी है
सत्येन्द्र कुमार पाठकमाँ तू मेरी, जीवन धारा,
तेरा प्यार, सागर गहरा।
हरदम तू ही, साथ निभाती,
ममता तेरी, जग से न्यारी।
जन्म दिया तूने मुझको,
पाला पोसा निज हाथों से।
हर पीड़ा तूने सह ली,
मुझको सुख दिया बातों से।
तेरी ममता की छाया में,
बचपन मेरा बीता सारा।
जब मैं रोया, तूने हँसाया,
गिरने पर तूने उठाया।
राह दिखाई जीवन की तूने,
हरदम मेरा साथ निभाया।
तेरी करुणा की धारा से,
जीवन मेरा हुआ उजियारा।
तेरी बातों में है अमृत,
तेरी आँखों में है प्यार।
तू ही शक्ति, तू ही साहस,
तू ही मेरा संसार।
तेरी आशीषों की छाया में,
हरदम मेरा हो गुजारा।
जग की दौलत से बढ़कर,
तेरा स्नेह अनमोल है माँ।
कैसे चुकाऊँ तेरा उपकार,
तू ही मेरा सब कुछ है माँ।
तेरी चरणों की धूलि बनकर,
जीवन मेरा हो संवारा।
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