जीत के साथ जिम्मेदारी बढ़ी

जीत के साथ जिम्मेदारी बढ़ी

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान फीचर सेवा)
आम आदमी पार्टी (आप) के लिए दिल्ली और पंजाब में सरकार बनाने के बाद अब दिल्ली महानगर निगम (एमसीडी) के चुनाव जीतने के साथ जिम्मेदारी भी बढ़ गयी है। एमसीडी चुनाव में सबसे बड़ी समस्या कूड़े के पहाड़ हैं। इनको हटाना इतना आसान नहीं है जितना केजरीवाल सोच रहे हैं। रोजगार और साफ-सफाई के मुद्दे पर ही दिल्ली की जनता ने वोट डाला है। आम आदमी पार्टी को भाजपा ने कड़ी टक्कर दी है। भाजपा पिछले 15 साल से एमसीडी पर कब्जा जमाए थी। इसलिए केजरीवाल की पार्टी को एमसीडी में बहुत सतर्क होकर काम करना होगा। आप के सौरभ भारद्वाज ने बड़े ही सहज भाव से कह दिया कि अब एमसीडी में हमारी सरकार होने से हमें स्कूल खोलने के लिए आसानी से जमीन मिल जाएगी लेकिन सब कुछ इतना आसान नहीं होगा। केजरीवाल की पार्टी 134 पार्षद मिले हैं तो भाजपा के पास भी 104 पार्षद हैं और अभी तो मेयर बनाने में ही केजरीवाल को छींकें आ जाएंगी। इसके साथ ही केजरीवाल के लिए सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि वह कह सकते हैं कि भाजपा को पराजित करने की ताकत सिर्फ उसी में है। इस प्रकार जनता को भाजपा का राष्ट्रीय स्तर पर विकल्प मिल सकता है।

दिल्ली नगर निगम चुनाव (एमसीडी) की मतगणना जैसे ही शुरू हुई आम आदमी पार्टी को बढ़त मिलने लगी थी लेकिन भाजपा भी ठीक उसके पीछे चल रही थी। यही स्थिति अंत तक रही। कांग्रेस यहां भी भी ठीक उसके पीछे चल रही थी। यही स्थिति अंत तक रही। कांग्रेस यहां भी दयनीय स्थिति में रही। कांग्रेस उम्मीदवार अरिबा खान ने जीत हासिल की है। उनके पिता आसिफ खान चुनाव के दौरान पुलिसकर्मियों से बदसलूकी के आरोप में जेल में बंद हैं। कांग्रेस ने जाकिर नगर सीट भी अपने कब्जे में कर ली है। दिल्ली सरकार के मंत्री सत्येंद्र जैन के विधानसभा क्षेत्र शकूरबस्ती में भाजपा ने तीनों सीटें सरस्वती विहार, पश्चिम विहार और रानी बाग जीत ली हैं। सुल्तानपुरी ए वार्ड से आम आदमी पार्टी की उम्मीदवार बॉबी किन्नर चुनाव जीत गई हैं। बॉबी इन चुनाव में बहुत चर्चा में रहीं। नतीजे आते ही पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि आम आदमी पार्टी ने पहले दिल्ली से कांग्रेस की 15 साल की सत्ता को उखाड़ा था, अब एमसीडी से भाजपा की 15 साल की सत्ता को उखाड़ दिया। इसका मतलब है कि लोग नफरत की राजनीति को पसंद नहीं करते हैं। लोग बिजली, सफाई, इंफ्रास्ट्रक्चर को वोट देते हैं। इसके जवाब में दिल्ली भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने कहा, हमने आम आदमी पार्टी के भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया, उसे जनता ने समझा। हम नगर निगम में चैथी बार मेयर बनाएंगे। दिल्ली के भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने कहा कि दिल्ली में लोगों ने बहुत समर्थन दिया है। आप के मुख्य प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज कहते हैं भाजपा ने चुनाव प्रचार के दौरान एमसीडी में अपने 15 साल के कार्यकाल में कोई भी उपलब्धि नहीं गिना पाई है। अधिकांश चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों में भी भाजपा पर ‘आप’ की बड़ी जीत और कांग्रेस के तीसरे स्थान पर रहने का पूर्वानुमान जताया गया था।

दिल्ली नगर निगम का चुनाव वैसे तो हमेशा से ही हाई प्रोफाइल चुनाव माना जाता रहा है लेकिन इस बार का चुनाव अपने आप में काफी खास था। दिल्ली की जनता ने दिल्ली के एकीकृत यानी संयुक्त नगर निगम को लेकर मतदान किया। दिल्ली विधान सभा के चुनाव में लगातार हार का सामना करने के बावजूद दिल्ली नगर निगम के चुनाव में बीजेपी एक तरह से अपराजेय बनी रही। अपनी लोकप्रियता के चरम पर पहुंचने के बावजूद न तो कांग्रेस की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित भाजपा को हरा पाईं और न ही अरविंद केजरीवाल हरा पाए। साल 2007 से ही नगर निगम में भाजपा की मजबूत पकड़ बनी हुई थी। साल 2007 में केंद्र में मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस गठबंधन की सरकार थी और दिल्ली में कांग्रेस की ही शीला दीक्षित मुख्यमंत्री थीं लेकिन इसके बावजूद नगर निगम के चुनाव में दिल्ली की जनता ने भाजपा को वोट किया था। नगर निगम में बीजेपी की पकड़ को कमजोर करने के लिए 2011 में तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने दिल्ली नगर निगम को तीन हिस्सों- उत्तरी, पूर्वी और दक्षिणी दिल्ली नगर निगम में बांट दिया लेकिन इसके बावजूद 2012 में हुए नगर निगम के चुनावों में इन तीनों नगर निगमों में कांग्रेस को हराते हुए भाजपा फिर से सत्ता में आ गई थी।

वर्ष 2017 में हुए पिछले चुनाव के दौरान केंद्र और दिल्ली, दोनों की सत्ता में बड़ा बदलाव आ चुका था। केंद्र में भाजपा नीत एनडीए गठबंधन की सरकार सत्ता में आ गई थी और नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बन चुके थे वहीं दिल्ली में प्रचंड और ऐतिहासिक बहुमत के साथ अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री के रूप में कार्य कर रहे थे। 2017 में अरविंद केजरीवाल अपनी लोकप्रियता के चरम पर थे लेकिन इसके बावजूद तीनों नगर निगम चुनाव में लगातर तीसरी बार सत्ता हासिल कर भाजपा ने यह साबित कर दिया कि नगर निगम चुनाव में उसे हरा पाना बहुत मुश्किल है। भाजपा पिछले कई वर्षों से दिल्ली नगर निगम और दिल्ली से आने वाली लोक सभा की सातों सीटों पर वर्चस्व बनाए हुए हैं लेकिन इस बार एमसीडी इलेक्शन के नतीजे का असर 2024 में होने वाले लोक सभा चुनाव में दिल्ली की सातों में से कुछ सीटों पर पड़ना भी तय माना जा रहा है। भाजपा और आप, दोनों ही राजनीतिक दलों को एमसीडी चुनाव के नतीजों के दूरगामी राजनीतिक प्रभाव पड़ने का अंदाजा था इसलिए दोनों ही राजनीतिक दलों ने इस चुनाव के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी। कांग्रेस के लिए यह चुनाव दिल्ली की राजनीति में अपने आप को पुनर्जीवित करने का चुनाव था। दिल्ली की जीत ने जहां एक ओर राष्ट्रीय राजनीति में केजरीवाल का कद बढ़ाया तो वहीं दूसरी ओर विपक्षी दलों के बीच उनकी स्वीकार्यता भी। ध्यान रखने वाली बात यह है कि, 2024 में होने वाले लोक सभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस और देश के कई अन्य क्षेत्रीय दल लगातार सभी विपक्षी दलों को एक मंच पर लाने का प्रयास जरूर कर रहे हैं लेकिन इसके बावजूद कांग्रेस ने अब तक इस विपक्षी एकता की प्रकिया से आप को अलग-थलग ही कर रखा है। इसलिए दिल्ली नगर निगम का यह चुनाव आम आदमी पार्टी के लिए भी काफी अहम हो गया था लेकिन अब उसकी जिम्मेदारी भी बनी है।
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