आधी आबादी की तरक्की पर जोर

आधी आबादी की तरक्की पर जोर

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान फीचर सेवा)
वोट की राजनीति में अब महिलाएं भी खासी भूमिका निभा रही हैं लेकिन कोई पार्टी उनको बरगलाने की कोशिश नहीं कर सकती। महिलाएं संवेदनशील और दूरदर्शी भी होती हैं। अब वे पुरुषों के कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही हैं। उत्तराखण्ड में बीते विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत का एक बड़ा कारण महिलाओं का समर्थन रहा है। इसीलिए पुष्कर सिंह धामी सरकार आधी आबादी की तरक्की पर विशेष जोर दे रही है। महिलाओं के लिए केन्द्र सरकार ने जो योजनाएं बनायी हैं, उनके अलावा राज्य स्तर पर भी कई योजनाएं लागू की गयी हैं।
बीजेपी अब आधी आबादी की शक्ति को हाथ से नहीं खिसकने देना चाहती। महिलाओं के लिए तीस फीसदी क्षैतिज आरक्षण के बाद सरकार अब सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक सशक्तिकरण के लिए महिला नीति भी बनाने जा रही है। महिला नीति के इस शुरुआती ड्राफ्ट में पंचायतों में पचास फीसदी आरक्षण की तरह निकायों, निगमों में भी आरक्षण देने की बात कही गई है। इसके साथ ही टॉप हिल्स, फुट हिल्स और तराई की राज्य की भौगोलिक संरचना के अनुरूप महिलाओं के लिए सुरक्षा और सामाजिक हिस्सेदारी की बात कही गई है। महिला सशक्तिकरण मंत्री रेखा आर्य का कहना है कि महिलाओं का वोट पाना है तो उनके लिए सोचना भी होगा। सरकार महिला नीति को लेकर प्रतिबद्ध है। राज्य महिला आयोग महिला नीति का रफ ड्राफ्ट तैयार कर चुका है। इस पर विभिन्न डिपार्टमेंट्स की राय और सुझाव के लिए आठ दिसंबर को चीफ सेक्रेटरी की अध्यक्षता में मीटिंग बुलाई गई है। इसके बाद महिला नीति का ड्राफ्ट आकार लेगा। उत्तराखंड में 2022 के विधान सभा चुनाव परिणाम को याद कीजिए जब महिलाएं पुरुषों से एक कदम आगे बढ़कर वोटिंग के लिए बाहर निकलीं और बंपर मतदान किया। तमाम मिथकों को तोड़ते हुए बीजेपी ने सत्ता में वापसी की।

बदलते दौर और बढ़ती महंगाई में बेहतर जीवन जीने के लिए आर्थिक रूप से सशक्त होना जरूरी है। आर्थिक रूप से सशक्त होने के बाद हीं आत्मनिर्भर बना जा सकता है। कोरोना महामारी के दौरान लोगों की माली हालत चरमरा सी गई थी। इसको पटरी पर लाने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत अभियान पर जोर दिया था। लोगों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कौशल विकास योजना बड़ी भूमिका निभा रहा है। खासकर महिलाएं इस योजना का हिस्सा बनकर आत्मनिर्भर बनने के दिशा में लगातार कदम बढ़ा रही हैं। कौशल विकास योजना की पृष्ठभूमि सरकार द्वारा वर्ष 2015 में कौशल भारत मिशन नाम से शुरू किया गया था जिसके तहत प्रमुख रूप से प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना चलाई गई। इसका उद्देश्य वर्ष 2022 तक भारत में 40 करोड़ से अधिक लोगों को विभिन्न कौशल में प्रशिक्षित करना एवं समाज में बेहतर आजीविका और सम्मान के लिये भारतीय युवाओं को व्यावसायिक प्रशिक्षण व प्रमाणन प्रदान करना है। केन्द्र सरकार की यह योजना राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 समग्र विकास और रोजगार में वृद्धि के लिये व्यावसायिक प्रशिक्षण पर भी ध्यान केंद्रित करती है।

उत्तराखंड की महिलाओं में स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश में मुख्यमंत्री नारी सशक्तीकरण योजना शुरू की गयी है। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने भाजपा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यसमिति के उद्घाटन कार्यक्रम में इस योजना की घोषणा की। मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि आज हमारे प्रदेश की महिलाएं स्वरोजगार को लेकर तमाम तरह के काम कर रही हैं। महिलाओं में स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने मुख्यमंत्री नारी सशक्तीकरण योजना की घोषणा की। बताया कि इस योजना के तहत चालू वित्तीय वर्ष में 15 हजार से अधिक महिलाओं को एक लाख रुपये की सब्सिडी दी जाएगी। उन्होंने कहा कि यह योजना ग्राम्य विकास विभाग के अंतर्गत संचालित होगी। योजना के तहत प्रोजेक्ट पास करने की जिम्मेदारी शहरी क्षेत्रों में जीएम जिला उद्योग केंद्र की अध्यक्षता में गठित समिति की होगी, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में बीडीओ की अध्यक्षता में गठित समिति की होगी। समिति ही प्रोजेक्ट को पास करेगी। इसके बाद संबंधित महिला के लिए ऋण लेने की राह तो आसान होगी ही, साथ ही एक लाख रुपये की सब्सिडी मिलने से राहत भी मिलेगी।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उनकी सरकार महिलाओं को स्वावलंबी बनाने की दिशा में काम कर रही है। मुख्यमंत्री नारी सशक्तीकरण योजना के तहत स्वरोजगार करने वालीं महिलाओं को लोन मिलने में आसानी हो जाएगी। इस योजना के तहत उन्हें प्रोजेक्ट कोस्ट की 30 प्रतिशत या एक लाख रुपये सब्सिडी मिलेगी। मुख्यमंत्री नारी सशक्तीकरण योजना का लाभ सभी महिलाएं उठा सकती हैं। सीएम पुष्कर धामी ने कहा कि महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए राष्ट्रीय आजीविका मिशन के साथ ही अन्य योजनाओं से उन्हें जोड़ा गया है। स्वयं सहायता समूहों को पांच लाख रुपये तक बिना ब्याज का ऋण उपलब्ध कराने के साथ ही उनके उत्पादों के विपणन की व्यवस्था की गई है। प्रसाद योजना भी उनके आर्थिक स्वावलंबन का आधार बनी है। इसके लिए 119 करोड़ के पैकेज की व्यवस्था भी की गई है। इसके साथ ही उत्तराखंड में महिला व बाल विकास से जुड़ी योजनाओं को धरातल पर मूर्त रूप देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे आंगनबाड़ी केंद्र अब और सशक्त होंगे। आंगनबाड़ी व मिनी आंगनबाड़ी केंद्रों में कार्यकर्ता और सहायिकाओं के रिक्त चल रहे 1323 पदों को भरने की दिशा में प्रदेश सरकार न कदम उठाया है। यही नहीं, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को विभाग में सुपरवाइजर के पदों पर पदोन्नति की राह भी खोली गई है। महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास विभाग के अंतर्गत राज्य में 14505 आंगनबाड़ी केंद्र और 5120 मिनी आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हैं। इन 20067 आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से वर्तमान में छह से तीन वर्ष तक के 418349 और तीन से छह वर्ष तक के 234710 बच्चों को पुष्टाहार दिया जा रहा है। इसी तरह आंगनबाड़ी केंद्रों के जरिये 81431 गर्भवती महिलाओं और 86989 धात्री महिलाओं की सेहत का ख्याल भी रखा जा रहा है।
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