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विरासत में छिपी है अरवल का क्षेत्र करपी ( अरवल ) ।

विरासत में छिपी है अरवल का क्षेत्र करपी ( अरवल ) । 

संस्कृति की पहचान उरवाल जिले के विरासत में छिपी हुई है । उक्त विचार जगदम्बा माई के विमोचन समारोह के अवसर पर भारतीय विरासत संगठन के अध्यक्ष सत्येन्द्र कुमार पाठक ने कहा कि अरवल जिले का करपी प्रखंड के करपी जगदम्बा स्थान मंदिर में अवस्थित मूर्तियां , नादी का शिवलिंग , तेरा का सहस्तरलिंगी शिवलिंग , पुराण का शिवलिंग , शाहरतेलपा का धिव लिंग , बेलखरा का सूर्यमूर्ति , शिवलिंग , , किंजर का शिव मंदिर , पन्तित का मूर्तियां , रामपुरचाय का पंचमुखी शिव लिंग , कुर्था प्रखंड के लारी गढ़ एवं शिवलिंग , कलेर प्रखंड के मदसरवा का च्यावनेश्वर शिवमंदिर , सोनभद्र वंशी प्रखण्डान्तर्गत खटांगी का भगगवन सूर्य की मूर्ति, गढ़ , पोंदिल का शिव लिंग , गढ़ , सचई का गढ़ ,, शिवमंदिर , मानिकपुर का सूर्य मूर्ति , वंशी का शिवलिंग ,शेरपुर का शिवलिंग अरवल प्रखंड के कगजीमहल्ला में अवस्थित पालकालीन शिवलिंग ,जनकपुर घाट का शिवलिंग , बुढ़वा महादेव बेलसार में विल्वेश्वर शिवलिंग ,अरवल सोन नद किनारे सम्मन साहेब का मजार , है । जगदम्बा माई के कैसेट एव यूट्यूब संगीत का विमोचन समारोह करपी में आयोजित संस्कृति की पहचान विरासत विचार गोष्टी में भारतीय विरासत संगठन के अध्यक्ष साहित्यकार व इतिहासकार सत्येन्द्र कुमार पाठक ने कहा कि सांस्कृतिक एवं पुरातत्विक धरोहर पहचान है । अरवल जिले में 24 विरासत विभिन्न क्षेत्रों में विखरी पड़ी है । सभी धरोहरें अरवल जिले की प्राचीन सभ्यता और संस्कृति है । करपी का जगदम्बा स्थान , पंचतीर्थ का शिव एवं भगवान विष्णु का पशनयुक्त चरण , मदश्रवा का च्यावनेश्वर शिव मंदिर , लारी गढ़ , किंजर का शिव मंदिर प्रमुख प्राचीन विरासत है । संगीतकार जीतू बाबा द्वारा लिखित एवं सुमित पाठक के स्वर में करपी जगदम्बा पर महिमा जगदम्बा माई के प्रस्तुति की गई । महिमा जगदम्बा माई के विन्दुओ पर साहित्यकार सत्येन्द्र कुमार पाठक के कहा कि संगीत और क्षेत्रीय लोक गीत में ग्रामीण संस्कृति छिपी हुई है । लोक गीत के माध्यम से प्राचीन विरासत की पहचान युवा वर्ग में फ़ैल रही है । इस अवसर पर गीतकार जीतू बाबा , लोक गायक सुमित पाठक , बिहार जीविकोपार्जन प्रोत्साहन समिति के ट्रेनिंग अफसर प्रवीण कुमार पाठक , एस . एस .कॉलेज के प्रो. उर्वशी कुमारी , अशोक , सुधीर , नसर्मदेश्वर आदि ने विरासत पर अपने अपने विचार व्यक्त किए ।माई के प्रस्तुति की गई । महिमा जगदम्बा माई के विन्दुओ पर साहित्यकार सत्येन्द्र कुमार पाठक के कहा कि संगीत और क्षेत्रीय लोक गीत में ग्रामीण संस्कृति छिपी हुई है । लोक गीत के माध्यम से प्राचीन विरासत की पहचान युवा वर्ग में फ़ैल रही है । इस अवसर पर गीतकार जीतू बाबा , लोक गायक सुमित पाठक , बिहार जीविकोपार्जन प्रोत्साहन समिति के ट्रेनिंग अफसर प्रवीण कुमार पाठक , एस . एस .कॉलेज के प्रो. उर्वशी कुमारी , अशोक , सुधीर , नसर्मदेश्वर सुधीर , धीरेंद्र कुमार पाठक आदि ने विरासत पर अपने अपने विचार व्यक्त किए ।
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