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जीवन सेवानिवृत्ती के बाद

जीवन सेवानिवृत्ती के बाद

जय प्रकाश कुँवर
मत कर तू अभिमान रे मनवा,
मत कर तू अभिमान!
झुठी तेरी शान रेमनवा,
मत कर तू अभिमान!!
कौड़ी कौड़ी तुमने जोड़ा,
दायित्वों से मुख नहीं मोड़ा,
उमर साठ तक भागा दौड़ा,
खुद पर रहा गुमान!!
मत कर तू अभिमान रे मनवा,
मत कर तू अभिमान!!
पत्नी कहती बहुत दिये हो,
बच्चे कहते मौज किये हो,
लेखा जोखा दिल ही जाने,
साक्ष न कोई प्रमाण !!
मत कर तू अभिमान रे मनवा,
मत कर तू अभिमान !!
खाकर निकलें टिफिन की चिंता,
रोज की खिच खिच बात बात पर,
समय से दफ्तर जाना होगा,
यह थी तेरी आन,!!
मत कर तू अभिमान रे मनवा,
मत कर तू अभिमान !!
ब्रत उपवास न तुमने जाना,
कर्म को तुमने ईश्वर माना,
अब उपवास तो करना सीखो,
ब्रत त्योहार भी करना सीखो,
खा लो जो कुछ मिल जाए सो,
अहम जिद्द छोड़ना भी सीखो,
पत्नी कहती अर्धांगिनी हूं मैं,
तुम थके तो मैं भी थकी हूं,
साथ दिया यदि मेरा तन तो,
फिर खा लेना पकवान!!
मत कर तू अभिमान रे मनवा,
मत कर तू अभिमान!!
पत्नी कहती, बच्चों का है अपना जीवन,
उनको सुख से जी लेने दो,
वे , पड़े रहे जो हममें तुममें,
उनका भी होगा भारी मन,
कहता नहीं किसी से कोई,
पर जीवन की यह सच्चाई है,
पिछली पीढ़ी क्या थी छोड़ो,
नयी पीढ़ी पर अब बन आई है!
कल तक तुम थे जलते लाइट,
अब तुम केवल फ्यूज बल्ब हो,
मत हांको की ये थे,वो थे ,
अब तो मौन हो रहना सीखो,
कितनी थी औकात तुम्हारी,
बीते दिन की बातें हैं वो,
अब तो तुम न साहब ही हो,
और न हो दरवान !!
मत कर तू अभिमान रे मनवा,
मत कर तू अभिमान!!
तू समझे इज्जत थी तेरी,
इज्जत तेरे पैसे की थी,
आज भी तुम कुछ दे पाते तो,
आज भी वैसी इज्जत पाते,
न देते हो तो चुप हो जाओ,
बिन पैसा अब यह फल पाओ,
कोई न अपना कोई पराया,
रिश्ता जो जिसके मन भाया,
अगर याद करले कोई तो,
बनी रहेगी तेरी पहचान !!
मत कर तू अभिमान रे मनवा,
मत कर तू अभिमान !!
छत के नीचे पड़े रहो तुम,
शान्ति से चुप रहना सीखो,
खालो पीलो जो मिल जाए,
चौथेपन में जी लो प्यारे,
अब जीवन है सुनसान!!
मत कर तू अभिमान रे मनवा,
मत कर तू अभिमान !!
भला बुरा सब सुनलो प्यारे,
जीवन अब सब पर वारे न्यारे,
तेरे गुण तब सब गायेंगे,
फुल चढ़ाने सब आयेंगे,
कुछ हंसेंगे, कुछ रोयेंगे,
जब तुम पहुंचोगे श्मशान !!
मत कर तू अभिमान रे मनवा,
मत कर तू अभिमान !! अब झुठी तेरी शान रे मनवा,मत कर तू अभिमान !!
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