भगवान महावीर: मोक्ष दिवस दीपावली
सत्येन्द्र कुमार पाठक
जैन धर्म शास्त्रों में भगवान महावीर का मोक्ष स्थल पावापुरी का महत्वपूर्ण उल्लेख मिलता है । पावापुरी जलमंदिर कमल के फूल से युक्त भगवान महावीर को समर्पित है। बिहार के नालंदा जिले के पावापुरी में स्थित जल मंदिर में भगवान महावीर का समाधि स्थल है ।कार्तिक कृष्ण अमावस्या 528 ई. पू. को पावापुरी में भगवान महावीर ने मोक्ष की प्राप्ति की थी। महावीर जलमंदिर मंदिर का निर्माण भगवान महावीर के बड़े भाई नन्दिवर्धन ने करवाया था । जल मंदिर में भगवान महावीर की चरण पादुका की भगवान मानकर पूजा होती है। जल मंदिर को अपापूरी मंदिर भी कहा जाता है। भगवान महावीर मगध के राजकुमार को मध्यमा पावा कहा जाता था। भगवान महावीर 30 साल की उम्र में सन्यासी बन गये थे। और ईसापूर्व 528 में भगवान महावीर ने मोक्ष की प्राप्ति की थी।भगवान महावीर को मोक्ष की प्राप्ति होने के बाद पावापुरी में समाधी स्थल से जैन धसर्म अनुयायी भगवान महावीर की पवित्र अस्थियो की मिटटी को लेकर जाते थे और उक्त स्थल की सारी मिटटी कम होती गयी और उस जगह पर बडासा खड्डा तयार हो गया और उसी खड्डे में पानी भर गया और कुछ समय बाद उसे ही मंदिर में परिवर्तित कर दिया गयाथा । भगवान महावीर के मंदिर कोइस टाकी में बनाया गया और चारो तरफ़ लाल कमल के फूल है। पावापुरी में पाच प्रमुख मंदिर मे भगवान महावीर का जल मंदिर है । भगवान महावीर के इस मंदिरमें उनकी चरण पादुका भी रखी गयी है । पानी के अंदर स्थित जल मंदिर को बनाने के लिए सफ़ेद संगेमरमर के पत्थरों से निर्मित 84 बीघा में फैला हुआ मंदिर के चारो तरफ़ से कमल पुष्प है।जल मंदिर तक जाने के लिए 600 फीट का लम्बा पुल बनाया गया है। मंदिर की झील में कई तरह की मछलिया को मछलियों के लिए खाने की चीजे उपलब्ध कराते है। बिहार की राजधानी पटना से मंदिर 108 किमीकी दुरी नालंदा जिले का राजगीर के समीप पावापुरी में भगवान महावीर को समर्पित जल मंदिर है । जैन धर्मावलंबी द्वारा कार्तिक कृष्ण अमावस्या दीपावली को मोक्ष दिवस का मुख्य स्थल महावीर जल मंदिर में मनाते है ।
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