दीए जलाएं
--:भारतका एक ब्राह्मण.
संजय कुमार मिश्र"अणु"
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अमा निशा
बढ रहा है।
दीप का तेज
बढ रहा है।।
घना अंधकार में
दीपक का प्रकाश।
बिखेर रहा है देखो
कैसे मधुर हास।।
घोर अंधकार में-
असंख्य दीए जलाओ।
अंधकार को जीत-
ज्योतिर्मय बन जाओ।।
जब अंदर बाहर हो अंधकार-
मनाओ ज्योति ये पर्व।
कभी हार मत मानना तुम-
जीतो अंधकार का गर्व।।
ये मिट्टी के दीए
घी और कपास।
फिर थोडी चिंगारी
बिखेर रहा प्रकाश।।
आओ मिलकर अंधकार मिटाएं।।
अमा निशा में घी के दीए जलाएं।।
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वलिदाद,अरवल(बिहार)
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