घर कब आ ओ गे ????
पिया तेरी याद में,
तन्हा तन्हा रहती हूँ।
जहाँ - कहीं एकांत में,
यूँ ही भटकती रहती हूँ।
गुजरता नही है दिन,
कटती नहीं अब रातें।
कहीं पागल न करदे,
मन में भरा वो प्रीत।
जवानी के उफान में,
भाता नहीं संगीत।
सताती है तेरी यादें,
प्यार भरी मिठी बातें।
कब तक यूँ तड़पाओगे,
पिया घर कब आओगे । ????
✍️ डॉ रवि शंकर मिश्र "राकेश"
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