Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

घर कब आ ओ गे ????

घर कब आ ओ गे  ????

पिया  तेरी  याद  में, 
 तन्हा तन्हा रहती हूँ। 
  जहाँ - कहीं एकांत में, 
   यूँ ही भटकती रहती हूँ। 
    गुजरता नही है दिन, 
     कटती नहीं अब रातें।
कहीं पागल न करदे, 
  मन में भरा वो प्रीत। 
   जवानी के उफान में, 
     भाता   नहीं   संगीत। 
       सताती है तेरी यादें, 
        प्यार भरी मिठी बातें। 
कब तक यूँ तड़पाओगे, 
पिया  घर कब आओगे ।  ????

✍️  डॉ रवि शंकर मिश्र "राकेश"
दिव्य रश्मि केवल समाचार पोर्टल ही नहीं समाज का दर्पण है |www.divyarashmi.com

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ