जिसे यह तन हराता है
**************
चलेगी जब तलक काया
तभी तक हैं सभी पुरजन,
शिथिल होते ही हे भाई
बदल जाते हैं सब चिंतन।
कोई कहता उठा लेना
प्रभु कोई पीर मत देना,
हैं सुख के ही सभी साथी
किसी से कुछ भी क्या कहना?
बसा हूँ जिस घरौंदे में
नहीं अपना पराया है,
जुटाया धन परिश्रम से
कमाया या गँवाया है?
चरैवेति का संदेशा
ठहर जाता डराता है,
है शुभ संकल्प वाला मन
जिसे यह तन हराता है।
हे दीनानाथ अविनाशी
हमें उस पार ले जाना,
अगर मैं भूल जाऊँ तो
क्षमा करना औ अपनाना।
रजनीकांत।
दिव्य रश्मि केवल समाचार पोर्टल ही नहीं समाज का दर्पण है |www.divyarashmi.com
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com