ये पप्पू वो लालू
संजय कुमार मिश्र 'अणु'
देखिए अभी बिहार में-
कैसी राजनीत है चालु।
मरीजों के जगह एम्बुलेंस-
अब ढो रहा है बालु।।
एक बड़े नेता जी
क्रेता विक्रेता जी
सपने सजाए रहे-
भोली जनता की,
कभी प्याज दिखा-
तो कभी आलु।।
बहुत एम्बुलेंस गाडी-
थी नेता के घर खड़ी,
अचानक एक दिन-
विरोधी की नजर पड़ी,
जो है स्वभावत: झगड़ालू।।
ये संपत्ति है जनता की-
और माल बनी हुई है नेता की,
ओ भी महामारी के समय में-
रखैल लोकतंत्र विजेता की,
बोला--ठहर ईर्ष्यालु।।
लोगों को बताता हूं-
तेरा कारनामा सुनाता हूं,
कैसे हैं भारत भाग्य विधाता-
एक आईना दिखाता हूं,
महिमा उतंग है या ढालु।।
वो देते रहे सफाई-
सुनिए बात मान्यवर,
यहां इसलिए पड़ी है,कि-
मुझे मिला नहीं ड्राइवर,
मत बनों बंदर और भालू।।
पर वह नहीं माना-
पहुंचाई बात कोट,थाना,
साथ में धमकाया भी-
जन सेवा कह करना बहाना,
सहेगा नहीं ये पप्पू वो लालू।।
वलिदाद,अरवल(बिहार)
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