चापलूस
संजय कुमार मिश्र 'अणु'
चापलूस,
करने में लगा रहता है,
अपनों का अपमान-
औरों को खुश।
चापलूस।।
अंत समय में वह
मारा जाता है
दोनों तरफ से
कहकर मनहूस।।
खोकर अपनों का विश्वास
खुद का करता है नाश
अंततः खाली हाथ
करता है महसूस।।
करता रहता है अफसोस
पड़कर दुर्दिन के आगोश
कहने लगते हैं सब
अरे जाहिल रह खामोश
लौलीपप छोड ले लेमनचुस।।
अपनों पर रख भरोसा
किसलिए मन मसोसा
अरे नादान
खुद को पहचान
मत बन फन्ट्टुस।।
वलिदाद,अरवल(बिहार)दिव्य रश्मि केवल समाचार पोर्टल ही नहीं समाज का दर्पण है |www.divyarashmi.com
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