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आदमी बन गया

आदमी बन गया

आदमी बन गया है पशु से भी बदतर।
पशु है कहीं आज आदमी से बेहतर।१।
रहा है पशु तो आदमी का सहारा,
अभीतक किसी आदमी को न मारा,
आदमी हीं चलाता रहा इस पे खंजर।२।
अपनी खुशी में इसको सताया,
सजाने को थाली मारा पकाया,
कातिल बना वह खुदको कह कलंदर।३।
गई जान उसकि दया भी न आई,
किया आदमी ने बडी बेवफाई,
किया कत्ल देखो है लहु का समंदर।४।
खुद आदमी कह समझता पशु है,
हमारी समझ में पशु वह नहीं तू है,
कहता "मिश्रअणु"आदमी को लफंदर।५।
      ----:भारतका एक ब्राह्मण.
         संजय कुमार मिश्र "अणु"
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