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महामानव मालवीय और अटल जी: मानवीय इतिहास के अद्वितीय कर्मयोगी — गया में जयंती समारोह श्रद्धा व विचारों के साथ सम्पन्न

महामानव मालवीय और अटल जी: मानवीय इतिहास के अद्वितीय कर्मयोगी — गया में जयंती समारोह श्रद्धा व विचारों के साथ सम्पन्न

गया। स्थानीय डॉक्टर विवेकानंद पथ पर भारतीय राष्ट्रीय ब्राह्मण महासभा एवं कौटिल्य मंच के संयुक्त तत्वावधान में देशरत्न महामना पंडित मदन मोहन मालवीय तथा पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती समारोहपूर्वक मनाई गई। कार्यक्रम का शुभारंभ विभिन्न सामाजिक संगठनों से जुड़े महासभा एवं मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. विवेकानंद मिश्र ने किया।
अपने उद्घाटन संबोधन में डॉ. विवेकानंद मिश्र ने कहा कि महामना मालवीय भारत की सुदृढ़ नींव के शिल्पकार थे। उनकी 163वीं जयंती पर संपूर्ण राष्ट्र के लिए गौरव का अवसर है। उन्होंने शिक्षा को राष्ट्र-निर्माण का मूल आधार बनाकर भारत को दिशा दी। वहीं, सुदूर गांव से निकलकर देश के राजनीतिक इतिहास में शिखर तक पहुंचे अटल बिहारी वाजपेयी की 101वीं जयंती पर स्मरण करते हुए उन्होंने कहा कि अटल जी प्रतिभावान राजनेता, कुशल प्रशासक और मर्यादित राजनीति के प्रतीक थे। संवेदना, विचारशीलता और दूरदर्शिता के साथ उन्होंने राजनीति को नई ऊँचाइयाँ दीं। आज की पीढ़ी के लिए अटल जी के जीवन से सबसे बड़ी सीख राष्ट्रहित के प्रति पूर्ण समर्पण है।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आचार्य राधा मोहन मिश्र ‘माधव’ ने कहा कि यदि आज के राजनीतिज्ञ और प्रबुद्ध वर्ग मालवीय जी और अटल जी के आदर्शों को आत्मसात कर लें, तो भारत पुनः विश्वगुरु बन सकता है। आचार्य सच्चिदानंद मिश्र ने कहा कि यह अवसर उनके विचारों को जीवन में उतारने और संकल्प लेने का है—एक ने शिक्षा के माध्यम से राष्ट्र को दिशा दी, तो दूसरे ने राजनीति के माध्यम से देश को शक्ति और सम्मान दिलाया।
प्रोफेसर मनोज कुमार मिश्र ‘पद्मनाभ’ ने कहा कि सच्ची प्रगति अपनी जड़ों से जुड़े रहकर ही संभव है। महापुरुषों की जयंती मनाना केवल परंपरा नहीं, बल्कि राष्ट्र के प्रति हमारा दायित्व है। आचार्य अभय पाठक और विनायकांत मिश्र ने संयुक्त रूप से कहा कि यह जयंती हमें संदेश देती है कि भारत की आत्मा उसके महापुरुषों के विचारों में बसती है।
समाजसेवी उपेंद्र कुमार सिंह और प्रसिद्ध साहित्यकार-कवि गजेंद्र लाल ‘अधीर’ ने भारतीय संस्कृति और इतिहास के प्रति सजग रहने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि जब तक समाज अपने महापुरुषों का स्मरण नहीं करेगा, तब तक राष्ट्र की आत्मा सशक्त नहीं हो सकती। भाजपा के वरिष्ठ नेता अमित मोहन मिश्र ने कहा कि इन दोनों महान नेताओं के नेतृत्व और विचारों से भारत ने आत्मविश्वास के साथ विश्व मंच पर अपनी पहचान बनाई।

कार्यक्रम के समापन पर धन्यवाद ज्ञापन करते हुए डॉ. रविंद्र कुमार ने कहा कि महामना मालवीय और अटल बिहारी वाजपेयी—दोनों भारतीय परंपरा और आधुनिकता के सशक्त सेतु थे। उनके आदर्श आज भी समाज और राष्ट्र को दिशा देने में सक्षम हैं।

उपस्थित प्रमुख जन:
समारोह में मोहम्मद याहिया, राजीव लाल गुर्दा, डॉ. मंटू मिश्र, डॉ. इस्लाम साहब, अमरनाथ पांडेय, दिव्यांश कुमार, अनुज कुमार, अरुण ओझा, मुन्ना कुमार, दीपक पाठक, डॉ. गीता पासवान, सुनील कुमार, डोमन प्रसाद, सरवन पासवान, शिवजी कुमार, मोहिनी कुमारी, किरण पाठक, डॉ. जितेंद्र कुमार मिश्र, शिवम गॉड, शशिकांत मिश्र, विनायकांत मिश्र, बृजेश राय, आचार्य अरुण कुमार मिश्र ‘मधुप’, मिथिलेश कुमार, आचार्य शंभूनाथ मिश्र, पूनम कुमारी, शीतल चौबे, कालो देवी, फूल कुमारी, डिंपल कुमारी, प्रो. भोपाल राजक, सुरेश राम, विकास अदानी, महेश मिश्र, मृदुला मिश्र, अमरनाथ मिश्र, रामजगण गिरी, गुप्तेश्वर ठाकुर, रश्मि मिश्र, चंद्रभूषण मिश्र, विभास चंद्र मिश्र, मनोज मिश्र, धीरज कुमार, कुमार मिश्र, अजीत कुमार सोनी मिश्र, शशिकला कुमारी, संगीता जी, तसलीम नाज, रोजी नाज, बबलू गोस्वामी, नीरज वर्मा, शंभू गिरी, योगेश कुमार, अजय मिश्र, राजकुमार यादव, बुट्टा दास, अभय सिंह, संजय मिश्र, शांति देवी, कविता राउत सहित अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।कार्यक्रम श्रद्धा, विचार और राष्ट्रबोध के संदेश के साथ संपन्न हुआ।

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