पर्यटक हृदय,भित्ति चित्रों का कायल
कुमार महेंद्रप्रस्तर अंतर वास्तु यौवन,
इतिहास अलंकृत कामनाएं ।
परा जीवन उल्लास आरेखन,
चितवन कला स्तुत भावनाएं ।
विगत दिनचर्या यथार्थ चित्रण,
दर्शन आनंद स्वर सम पायल ।
पर्यटक हृदय,भित्ति चित्रों का कायल ।।
हर भित्ति लोक रंग पर्याय,
संरक्षण प्रणय हेतु तत्पर ।
आभामंडल संस्कृति मुस्कान,
अथाह आस्था विश्वास परस्पर ।
चाहना पुनः प्राण प्रतिष्ठा,
परिवेश स्थापत्य अराइस मायल ।
पर्यटक हृदय,भित्ति चित्रों का कायल ।।
उत्संग बयार आनंदिका,
ऐतिहासिक दृश्य मनमोहक ।
परंपरा संस्कार मृदुल ज्ञान,
सृजन कौशल अनुपमा रोहक ।
शेखावाटी हवेलियां अमूल्य धरोहर,
देख शिल्प तरुणाई हर जन घायल ।
पर्यटक हृदय,भित्ति चित्रों का कायल ।।
नवलगढ़ मंडावा बिसाऊ सह,
महनसर फतेहपुर हवेलियां मनहर ।
शिल्प सौष्ठव मनोरमा अद्भुत,
रज रज कलात्मक आभा निर्झर ।
कामना उज्ज्वल ओजस्वी भविष्य,
राज प्रयास खुली कला दीर्घा सायल ।
पर्यटक हृदय,भित्ति चित्रों का कायल ।।
कुमार महेंद्र
(स्वरचित मौलिक रचना)
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