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संजय जैन

उनसे लगन का भाव मिटता नही।
जो दिलके करीब होते है अपने।
मिलते नही अगर तीन चार दिन।
तो दिलमें बैचैनी सी होने लगती।।

बहस हम सब में भी होती है।
जब चर्चाओं का दौर चलता है।
पर अंत में प्यार बरकरार रहता है।
क्योंकि सबका दिल एकसा होता है।।

वर्तमान में बैर-भाव ज्यादा हो रहा है।
इसलिए संवाद का अभाव रहता है।
मिलने मिलाने की तो बात छोड़ो।
संचार यंत्रों से भी बातचीत कम होता है।।

कलयुग में रक्षसों का बास होता है।
इसलिए इंसानो में संवाद कम होता है।
चारों तरफ नजर उठाकर देखो तुम।
इंसान कम राक्षस ज्यादा दिख जायेंगे।
जो वर्तमान के परिवेश को
लोगों को दर्शा जो रहे है।।

जय जिनेंद्र
संजय जैन "बीना" मुंबई
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