नन्हें वीर
अरुण दिव्यांशनन्हें वीर ,
राष्ट्रीय तीर ,
बिंध देने पे ,
अरि माॅंगे न नीर ।
गौरव गाथा चिर ,
न होते हैं अधीर ,
ले लेते हैं सिर ,
या दे देते सिर ।
देख ले राम को ,
देख ले कृष्ण ,
हैं छोटे बाल ,
पर धार तीक्ष्ण ।
देख गोविंदपुत्र ,
देख ले जोरावर ,
राष्ट्र व धर्म हेतु ,
तन है न्यौछावर ।
राष्ट्र के नन्हें वीर ,
वचन पक्के लकीर ,
टूटे पर झुके नहीं ,
जैसे साधु संत फकीर ।
मिल लो प्रेम से तो ,
हैं अमृतमय खीर ,
लेना चाहो ज्ञान ,
लंबे चौड़े गहरे क्षीर ।
मिटा न सका कोई ,
बाल के पक्के धुन को ,
देख ले उदाहरण तू
नन्हें अभिमन्यु गुन को ।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
छपरा ( सारण )बिहार ।
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