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घर परिवार

घर परिवार

संजय जैन

मन अब नही लग रहा
देखो अपने ही घर में।
दिल भी नही लग रहा
देखो अपने ही घर में।
इतने दिन गुजारे है तो
बाकी भी निकल जायेंगे।
सच में जिंदगी के पल
हंसी खुशी गुजर जायेगें।।


जो घरों में नही रहते थे
कामों में मस्त रहते थे।
दिन रात अपने व्यवसाय में
देखो व्यस्त रहते थे।
इनको ही सबसे ज्यादा
परेशान देखो कैसे हो रही।
क्योंकि इन को घर में
बंधा सा लग रहा है।।


यदि समय रहते ये लोग
परिवार को समझते।
तो बीबी बच्चों के साथ
दिन मौज-मस्ती से निकलते।
और लोगों को परिवार का
महत्व समझ आता।
फिर अपनी जिंदगी को
परिवार के साथ जीता।।


जान है तो जहान है
घर में सबका समाधान है।
पैसे शोहरत कुछ भी,
काम नहीं आएगा।
जब मुसीबत कोई आयेगा
तब सबका साथ मिल जायेगा।
तो समस्या का समाधान
सबके साथ पा जायेगा।।


मौका मिला है तुझे देखो
साथ दिन बिताने का।
और वचनों को निभाने का
जो एक-दूसरे को दिया थे।
उस पवित्र गठबंधन पर
जब तुम संगनी बनी थी।
अब आया है वक्त देखो
तो सुख-दुख में साथ जीने है।।


जय जिनेन्द्र
संजय जैन "बीना" मुम्बई
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