Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

जिनिगी के सच्चाई

जिनिगी के सच्चाई

बड़ा देर से बात बुझाइल।
अबगे सब समझ में आइल।।
जब ले देह घुसुकत बाटे।
आपन बिरान तनी पुछत बाटे।।
जेह दिन देह अपंग हो जाई।
ओह दिन इ मोटरी ह भाई।।
तब केहू ना ढोई ना नहवाई।
तब केहू ना मुंह में भात खिआई।।
जब ले हम जवान रहनीं।
हम सबका के ढोवत रहनीं।।
जब सब लोग अंखफोर भ‌इल।
क‌इल ध‌इल सब भाड़ में ग‌इल।।
छाता बन धुप बरखा सहनीं।
तब सबकर काका चाचा रहनीं।।
भ‌इल उमर देह जर्जर भ‌इल।
सब नाता के दिवार ढह ग‌इल।।
नया उमर के नया फसल बा।
बुढ़वन खातिर कुछ ना रहल बा।।
बुढ़ापा आवत इ सबका सामने आई।
इहे बा आजकल जिनिगी के सच्चाई।।

जय प्रकाश कुवंर


हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews #Divya Rashmi News, #दिव्य रश्मि न्यूज़ https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ