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बिहारी कलम

बिहारी कलम

अरुण दिव्यांश
यह बिहारी कलम है ,
जहाॅं खिलता कमल है ।
पहुॅंचे चरम शीर्ष वही ,
जो करे सादर अमल है ।।
बिहार है साधारण नहीं ,
माता सीता जन्मभूमि है ।
बिहार का पावन धरती ,
बुद्ध महावीर तपोभूमि है ।।
गर्व हमें हम जन्मे जहाॅ़ं ,
वह भूमि हमको प्यारी है ।
जोरावर दिलावर जन्मभूमि ,
वीर पावन भूमि हमारी है ।।
इसका है पावन परिभाषा ,
बिहार का अर्थ होता दो ।
हा तो है वध करनेवाला ,
मारनेवाला शोक देता जो ।।
र अग्नि ऑंच ताप जलना ,
तीक्ष्ण औ सितार के बोल ।
बिहार कटुता अग्नि से दूर ,
सितार सा मधुर है घोल ।।
बिहार होता सबका प्यारा ,
बिहार बुरा नहीं सोचता है ।
जो सोचे बिहार की बुराई ,
अना मुॅंह स्वयं नोचता है ।।
बिहार ऑंच ताप हेतु अग्नि ,
न ही जलता न जलाता है ।
जो सोचा बिहार की बुराई ,
स्वयं जलता शोक पाता है ।।
पीठ पीछे करता है बड़ाई ,
समक्ष ही बुराई करता है ।
बिहार अंदर से बुरा नहीं ,
उपकार करने में मरता है ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
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