जयति जय जय,श्रद्धेय प्रेमानंद जी महाराज
कुमार महेन्द्र
प्रातः वंदनीय संत शिरोमणि,
व्यक्तित्व अंतर अपनत्व अपार ।
प्रेरणा पुंज संवाद अठखेलियां,
वृंदावन हृदय निवास उद्गार ।
दृष्टि पटल स्नेह प्रेम निर्झर,
आध्यात्म विमर्श मुस्कानी अंदाज ।
जयति जय जय, श्रद्धेय प्रेमानंद जी महाराज ।।
मृदुल मृदु विमल वाणी,
श्री चरण कमल वरदान ।
कृत कृत्य राधा रानी उपमा,
हृदय पुनीत शुभ संधान ।
दर्शन दिव्य दीप्त आभा ,
सत्कर्म सुषुप्त सौभाग्य राज ।
जयति जय जय,श्रद्धेय प्रेमानंद जी महाराज ।।
शांति शीतलता सरसता,
अनंत तृप्ति प्रीति कारक ।
सकारात्मक नैतिक सोच,
समस्या जड़ मूल निवारक ।
सहज सरस बोधगम्य उद्बोधन,
जन हिय आशा उमंग परवाज ।
जयति जय जय,श्रद्धेय प्रेमानंद जी महाराज ।।
वाणी वेणु श्रवण चिंतन मनन,
नैतिकता मोहक श्रृंगार ।
संस्कृति सुसंस्कार मर्यादा,
सदाहित आत्मीय आगार ।
राष्ट्र वंदन मानवता स्तुति,
सुखद भविष्य निर्माण काज ।
जयति जय जय,श्रद्धेय प्रेमानंद जी महाराज ।।
कुमार महेन्द्र
(स्वरचित मौलिक रचना)
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